घटना बेशक दो दिन पुरानी है लेकिन एक संदेश देती है कि हमारी सेना के जवान सिर्फ सरहद पर ही मोर्चा नहीं लेते या आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरा बने आतंकियों को ही काबू नहीं करते बल्कि बिना ड्यूटी भी नागरिकों की जान-माल की रक्षा के लिये अपने आप को झोंक देते हैं. ऐसे ही जांबाज लेफ्टिनेंट आशीष को हमारा सैल्यूट. भारतीय सेना ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट (फेसबुक और ट्विटर) पर अपने इसी जवान की जांबाजी की कहानी शेयर की है. हम सेना को धन्यवाद देते हैं कि वह इस घटना को सबके सामने लाये अन्यथा इसकी चर्चा भी नहीं होती. लोग जान भी नहीं पाते कि हमारे एक अकेले जवान ने किस तरह अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए ट्रेन में डकैतों से लोहा लिया और एक महिला सहयात्री को लुटने से बचा लिया.
घटना 6 मई 2018 की अल सुबह 3.30 बजे की है. अमृतसर जाने वाली दादर एक्सप्रेस के सेकंड एसी में आर्टिलरी रेजीमेंट के लेफ्टिनेंट आशीष सफर कर रहे थे. ट्रेन दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन स्टेशन से कुछ पहले खड़ी थी. इतने में डकैती के इरादे से दो डकैत 2एसी के कम्पार्टमेंट में घुसे और एक महिला यात्री को लूटने का प्रयास करने लगे. लेफ्टिनेंट आशीष ऊपर की बर्थ पर थे. आशीष ने यह देखा तो आनन-फानन हरकत में आये और डकैतों को रोकने के क्रम में उनसे भिड़ गये. पोस्ट के मुताबिक इस लड़ाई के दौरान लुटेरों का चाकू आशीष के हाथ में लगा गया. लेकिन आशीष ने डकैतों के मंसूबे पूरे नहीं होने दिये. आशीष के साहस के आगे लूट में नाकाम डकैत पस्त हो गये और ट्रेन से कूद कर भाग गये.
ट्विटर पर दोपहर करीब 2 बजे डाले गये इस पोस्ट को साढे तीन हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक और डेढ हजार के करीब लोगों ने रिट्वीट किया है. फेसबुक पर इसे 18 हजार लोगों ने लाइक किया है और दो हजार ने शेयर.