भारत में बने लड़ाकू विमान तेजस के नौसैनिक संस्करण (Naval Version) ने रविवार को विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य के ‘स्की-जंप’ डेक से कामयाब उड़ान भरी. इसे विमान के विकास की दिशा में बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है क्यूंकि ये एक मील का पत्थर है.
स्की-जंप विमानवाहक पोत के डेक पर हलका घुमावदार सबसे आगे वाला किनारा होता है जो लड़ाकू विमानों को उड़ान भरने के लिए काफी कुछ लिफ्ट मुहैया करता है. आईएनएस विक्रमादित्य में यहाँ एलसीए तेजस में रविवार को उड़ान पायलट कोमोडोर जे ए मावलंकर ने भरी थी.
ख़ास बात ये है कि इस विमान ने शनिवार को आईएनएस विक्रमादित्य पर पहली बार लैंडिंग की थी, वह भी एक अहम कदम था. विमानवाहक पोत पर विमान की कामयाब लैंडिंग और टेकऑफ से भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जो ऐसे लड़ाकू विमानों को डिजाइन करने की क्षमता रखते हैं जिन्हें विमानवाही पोत से ऑपरेट किया जा सकता है.
तेजस के नौसैनिक संस्करण का विकास, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ-DRDO) ने एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HCL) के एयरक्रॉफ्ट रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर, सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्दीनेस एंड सर्टीफिकेशन और सीएसआईआर समेत कई दूसरी एजेंसियों के साथ मिलकर किया गया है. उम्मीद की जा रही है विशेष तौर से नौसेना के लिए बनाये गये दो इंजन वाले इस फाइटर विमान LCA (N) MK1 को नियमित संचालन के लिए नौसेना में 2026 तक शामिल कर लिया जायेगा.