कश्मीर के आर्मी गुडविल स्कूल की छात्रा फातिमा जोहरा शतरंज की दुनिया का नया सितारा

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आल जम्मू एंड कश्मीर चैस एसोसिएशन की तरफ से कराए गए मुकाबले में फातिमा ने गोल्ड जीता
जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा के आर्मी गुडविल स्कूल की छात्रा फातिमा जोहरा ने शतरंज की दुनिया में चमकते नए सितारों में अपनी ख़ास जगह बना रही है . हाल ही में फातिमा ने अंडर 11 श्रेवी के शतरंज मुकाबले में अपने हुनर का प्रदर्शन करते हुए बराबरी के टक्कर देने वाले कई खिलाडियों को मात दी है. फातिमा ने केंद्र शासित क्षेत्र के जम्मू कश्मीर में राज्य स्तरीय मुकाबले में सबको धराशायी करके पहला स्थान हासिल करके गोल्ड मेडल जीता है.
आल जम्मू एंड कश्मीर चैस एसोसिएशन  ( all jammu and kashmir chess association ) की तरफ से यह शतरंज मुकाबला राजधानी श्रीनगर के इंडोर स्टेडियम में करवाया गया था .
दिलचस्प बात यह  है कि बांदीपोरा के आर्मी गुडविल स्कूल  ( army goodwill school , bandipora ) के ही एक अन्य छात्र मोहम्मद साहिब ने भी इस शतरंज मुकाबले में अपनी श्रेणी में तीसरा स्थान हासिल किया है. अपने स्कूल के  इन दोनों छात्रों की इस उपलब्धियों को लेकर स्कूल की प्रिंसिपल शबनम कौसर बेहद खुश तो है ही , उत्साहित भी है . उनका कहना है कि इससे शतरंज के खेल में अन्य छात्रों की दिलचस्पी भी बढ़ेगी.

बांदीपोरा के डीसी डॉ ओवेस अहमद के साथ फातिमा ज़ोहर

शतरंज की बिसात  पर  जंग जीतने का फातिमा का हुनर उसे राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनाने के रास्ते पर ले जा रहा है. ताज़ा मुकाबले को जीतने से पहले भी पिछले साल फातिमा ने अपनी प्रतिभा का लोहा तब भी मनवाया था जब उसने मध्य प्रदेश में अंडर  9 मुकाबले में पहला स्थान हासिल किया था. हैरानी की बात यह है कि फातिमा ने शतरंज  खेलने के सफर की शुरुआत ही 2022 में की थी. अभिभावकों के सहयोग और कोच के मार्गदर्शन ने इस नन्हीं प्रतिभा को  खिलने  और खेलने का मौका तो दिया ही कइयों के लिए प्रेरणा भी बनाया.

इतना ही नहीं फातिमा ने तो इतने कम वक्त में शतरंज के खेल को लेकर इतनी समझ और परिपक्वता हासिल कर ली कि वह बांदीपोरा ज़िले में हुए जिला स्तरीय छठे शतरंज  मुकाबले में अंडर 13 की श्रेणी में भी छाई रही. फातिमा ने बांदीपोरा के एस के स्टेडियम में आयोजित छठी जिला बांदीपोरा शतरंज प्रतियोगिता (  6th District Bandipora Chess Championship ) में भी अपनी खेल रणनीति का ज़बरदस्त प्रदर्शन करके तारीफ बटोरी थी . फातिमा के कोच का कहना है कि फातिमा में शतरंज के खेल को लेकर  गजब की क्षमता है और समर्पण है जो उसे इस खेल के राष्ट्रीय स्तर पर शीघ्र ही ले जाएगा.

प्रिंसिपल शबनम कौसर का कहना है कि फातिमा जोहरा और मोहम्मद साहिब  की सफलता से हमें बहुत अच्छा लग रहा है. इसको देख कर बाकी बच्चों में भी इस खेल को लेकर दिलचस्पी बढ़ती दिखाई दे रही है और इसके मद्दे नजर हम स्कूल में शतरंज को बढ़ावा देने के लिय कुछ नै सुविधाएं बढ़ाने  की सोच रहे हैं .  इसके अलावा फातिमा और साहिब के लिए बेहतर कोचिंग की व्यवस्था करने पर भी विचार चल रहा है .

आर्मी गुडविल स्कूल :
आतंकवाद ग्रस्त जम्मू कश्मीर में स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर पड़े नकारात्मक असर तथा यहां के दूरदराज़ के इलाकों में शिक्षा की सुविधाओं की कमी को देखते हुए भारतीय सेना ने 1990 में गुडविल स्कूल स्थापित करने की योजना पर कम शुरू किया था. यह शिक्षा और ढांचागत सुधार की तरफ ऐसे स्थानों के लिए नै पहल है जहां विभिन्न कारणों से सुविधाओं के साथ साथ जागरूकता की भी कमी है . अब तक जम्मू कश्मीर में ऐसे 43 स्कूल हैं जो इस योजना के तहत चलाये जा रहे हैं. इस योजना के तहत  कुछ पुराने स्कूलों को बेहतर करके उनको नया रूप इया गया है , कइयों में ढांचागत सुधार करके सुविधाए व शिक्षा का स्तर बढ़ाया गया है . ज्यादातर स्कूल में स्थानीय टीचर ही पढ़ाते हैं लेकिन स्चूलं का सुपरविजन करने के लिए सेना का अधिकारी तैनात रहता है . इसमें सेना की शिक्षा कोर की भी भूमिका रहती है .

शतरंज मुकाबले में आर्मी गुडविल स्कूल का छात्र मोहम्मद साहिब

जम्मू कश्मीर में आर्मी गुडविल स्कूल लोकप्रिय हो रहे हैं. इनमें न तो ज्यादा फीस होती है बल्कि कई ज़रुरतमंद व गरीब परिवारों के बच्चों को छूट भी मिलती है . साथ ही उनको किताबें कापियां आदि भी मुहैया कराई जाती हैं . उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक़ तकरीबन 15000 बच्चे आर्मी गुडविल स्कूलों में शिक्षा पा रहे है. इनमें से 1500 को छात्रवृत्ति भी दी जा रही है . इन तमाम कारणों से इन स्कूलों की लोकप्रियता तो बढ़ ही रही है. ऐसे और स्कूल खोले जाने की मांग भी है .