भारत में आतंकवाद का रास्ता छोड़कर सेना में भर्ती हुए शहीद लांस नायक नज़ीर अहमद वानी को शांतिकाल में बहादुरी के सबसे बड़े सम्मान अशोक चक्र से नवाज़ा जायेगा. दो बार सेना मेडल से सम्मानित जम्मू कश्मीर की प्रांतीय सेना की 162 वीं बटालियन में तैनात लांस नायक नज़ीर अहमद वानी पिछले साल नवम्बर महीने में शोपियां में आतंकवादियों से उस मुकाबले में शहीद हुए थे जिसमें 6 आतंकवादियों को मार गिराया गया था.
नज़ीर अहमद वानी ने वर्ष 2004 में आतंकवाद का रास्ता त्यागते हुए हथियार डाल दिए थे और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाइयों में सुरक्षा बलों की मदद करनी शुरू कर दी थी. उन्हें आतंकवादियों के हंटर (शिकारी) के तौर पर पहचान भी मिली थी. बहादुरी के लिए उन्हें पहले 2007 और फिर 2017 में सेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका है. इस बार गणतन्त्र दिवस परेड के मौके पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लांस नायक नज़ीर अहमद वानी को अशोक चक्र (मरणोपरांत) प्रदान करेंगे जो शहीद लांस नायक की पत्नी लेने के लिए आयेंगी.
38 वर्षीय नज़ीर अहमद वानी राष्ट्रीय राइफल्स की 34 बटालियन के साथ थे जब 23 नवम्बर 2018 के शोपियां के बतागुंड गाँव में हिजबुल मुजाहिदीन और लश्करे तैयबा के काफी हथियारों से लैस छह आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी. आतंकवादियों के खिलाफ आपरेशन की योजना के मुताबिक़ लांस नायक नज़ीर अहमद वानी और उनकी टीम को ऐसे रास्ते पर तैनात किया गया था जिसे आतंकवादी वहां से फरार होने में इस्तेमाल कर सकते थे. इन्हें फरार होते आतंकियों को रोकना था.
आतंकवादियों ने खतरे को भांप लिया था और उन्होंने सुरक्षा बलों का नजदीकी घेरा तोड़ने के लिए अंधाधुंध गोलियां बरसानी और हथगोले से हमला शुरू कर दिया. नज़ीर अहमद जमीन पर लेटकर उस तरफ बढ़े और बेहद नज़दीक से एक आतंकवादी पर गोलियों की बरसात कर दी. उस आतंकवादी को बेहद नजदीकी युद्ध में धराशायी करने के बाद लांस नायक नज़ीर अहमद वानी उस मकान की तरफ बढ़े जहां दूसरा आतंकवादी छिपा हुआ था. उससे तो लांस नायक नज़ीर अहमद का हाथ पैरों से मुकाबला हुआ. घायल होने के बावजूद नज़ीर अहमद ने उसका काम तमाम कर डाला. घायल नज़ीर अहमद को मिलिटरी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ उसने दम तोड़ दिया.
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