23 वें करगिल विजय दिवस पर सैनिकों की वीरता और बलिदान को याद किया

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करगिल विजय दिवस
करगिल विजय दिवस : भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार और वायु सेनाध्यक्ष वीआर चौधरी ने राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित करके शहीद सैनिको को नमन किया.

भारत भर में आज 23 वां ‘करगिल विजय दिवस’ अलग अलग तरह से मनाया गया. राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय समर स्मारक से लेकर जम्मू कश्मीर समेत सरहदी इलाकों तक में सेना के जवानों. अधिकारियों, नेताओं और विभिन्न संस्थाओं ने इस अवसर पर उन सैनिकों को याद किया जिन्होंने 1999 में करगिल में घुस आई पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने में अपना सर्वोच्च न्यौछावर कर दिया था. कितने ऐसे भी थे जो इस युद्ध में बुरी तरह घायल होने के कारण अपने अंग तक खो बैठे.

राजधानी दिल्ली में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार और वायु सेनाध्यक्ष वीआर चौधरी ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित करके शहीद सैनिको को नमन किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राष्ट्र उन शहीद सैनिकों और उनके परिवारों का हमेशा कर्ज़दार रहेगा. श्रीमती मुर्मू ने सोमवार को ही भारत के राष्ट्रपति के पद की शपथ ली थी. भारत का राष्ट्रपति यहां की तीनों सेनाओं का प्रमुख भी होता है.

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करगिल विजय दिवस : भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार और वायु सेनाध्यक्ष वीआर चौधरी ने राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित करके शहीद सैनिको को नमन किया.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 23 वें करगिल दिवस के अवसर पर अपने ट्वीट संदेश में कहा, ” कारगिल विजय दिवस हमारे सशस्त्र बलों की असाधारण वीरता, पराक्रम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले सभी वीर सैनिकों को मैं नमन करती हूं. सभी देशवासी, उनके और उनके परिवारजनों के प्रति सदैव ऋणी रहेंगे”.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करगिल विजय दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा, ” करगिल विजय दिवस मां भारती की आन-बान और शान का प्रतीक है. इस अवसर पर मातृभूमि की रक्षा में पराक्रम की पराकाष्ठा करने वाले देश के सभी साहसी सपूतों को मेरा शत-शत नमन”.

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करगिल विजय दिवस : भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार और वायु सेनाध्यक्ष वीआर चौधरी ने राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित करके शहीद सैनिको को नमन किया.

करगिल युद्ध की पृष्ठभूमि :

पाकिस्तान भारत से लगातार विभिन्न युद्धों में हुई हार से आहत महसूस करता है और खासतौर से 1971 की जंग की करारी हार की टीस तो उसे शर्मसार करती रहती है. इस युद्ध में उसे हार का तो सामना करना पड़ा ही अपने पूर्वी हिस्से से भी हाथ धोना पड़ा. पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने खुद को अलग करके बंगलादेश नाम का मुल्क बनाया. बंगलादेश की मुक्ति के लिए संघर्ष करने वालों को भारत से मदद भी की थी. उसी शिकस्त का बदला लेने की कोशिश पाकिस्तान किसी न किसी तरीके से करता रहता है.

युद्ध की ऐसे शुरुआत हुई :

करगिल और द्रास जैसे अत्यधिक ऊंचाई वाले सीमाई क्षेत्रों में सैनिक चौकियों में कडाके की ठण्ड व भीषण बर्फ़बारी की वजह से हालात इतने खराब होते हैं कि वहां इंसानों का रहना भी मुश्किल है. एक अनौपचारिक समझौते के तहत दोनों ही मुल्कों के सैनिक उन दिनों में इन क्षेत्रों में नहीं रहते. 1998 की सर्दियों में बर्फ़बारी के बाद भी ऐसा हुआ. भारतीय सैनिकों ने जो चौकियां खाली की थीं उन पर कब्ज़े के लिए पाकिस्तान मिलिशिया की आड़ में अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजता रहा. पाकिस्तान ने इस अपनी घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था. इसका मुख्य मकसद था कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़कर भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था.

करगिल विजय दिवस
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भारत ने दिया जवाब :

असल में शुरू में इसे घुसपैठ मान लिया गया था. भारतीय सेना को लगा कि घुसपैठियों को कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा लेकिन नियंत्रण रेखा में तलाश के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति का पता चलने पर समझ आ गया कि ये बड़े पैमाने पर बनाई गई रणनीति का हिस्सा है. भारत सरकार ने तब ऑपरेशन विजय शुरू किया और इसके तहत 2,00,000 सैनिकों को भेजा. करगिल का ये युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को खत्म हुआ. समाप्त हुआ. भारत ने करगिल युद्ध के दौरान 550 सैनिकों को खोया और उसके करीब 1400 सैनिक इसमें घायल हुए.