‘सशक्त और सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों में परिवर्तन’ थीम के तहत , उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में , सेना का पहला संयुक्त कमांडर सम्मेलन (joint commanders conference) शुरू हुआ. यह सम्मेलन भारत के सैन्य बलों को बदलते परिचालन परिवेश के अनुकूल बनाने के लिए भविष्य की रणनीति बनाने पर केंद्रित है.
रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों के शीर्ष पदों के अधिकारियों के इस सम्मेलन का नेतृत्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान (cds general anil chauhan ) ने किया. उनके साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी भी उपस्थित थे.
वर्तमान सुरक्षा स्थिति और सशस्त्र बलों की रक्षा तैयारियों की समीक्षा करते हुए, सीडीएस चौहान ने विभिन्न क्षेत्रों में एकीकरण को बढ़ाने के लिए संयुक्तता एवं भविष्य की योजनाओं के महत्व पर जोर दिया, जो भविष्य के युद्ध की रूपरेखा के अनुकूल होने और प्रभाव आधारित अभियानों के संचालन के लिए महत्वपूर्ण है.
जनरल अनिल चौहान ने एकीकरण के लिए रोडमैप के साथ कई उपाय शुरुआत करने के लिए तीनों सेनाओं की तारीफ़ की. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक कदम दर कदम प्रक्रिया थी, जिसकी शुरुआत क्रॉस सर्विस कोऑपरेशन से हुई और फिर ‘संयुक्त संस्कृति’ ( joint culture ) की तरफ बढ़ी जो अंत में संयुक्त अभियानों के संचालन के लिए बलों के एकीकरण तक पहुंची .
विचार-विमर्श में निर्णय लेने की सुविधा के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचे के साथ कमांड और कंट्रोल सेंटर स्थापित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया. जनरल चौहान ने उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए परिचालन संबंधी तैयारियों की आवश्यकता पर जोर दिया, आधुनिकीकरण की जरूरत को रेखांकित किया ताकि तत्पर और प्रासंगिक बने रहें तथा रणनीतिक स्वायत्तता प्राप्त कर सकें.