पंजाब में स्कूल कॉलेज में NCC लेने की अनिवार्यता

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क्या राष्ट्रीय कैडेट कोर यानि एनसीसी (NCC) की ट्रेनिंग सभी स्कूल कालेजों के छात्रों के लिए अनिवार्य की जानी चाहिए? और क्या ये किया जा सकता है? ये सवाल एक बार फिर उठाना शुरु हुआ और इसकी वजह वो पहल है जो पंजाब ने की है. पंजाब सरकार ने पाकिस्तान की सीमा से सटे तीन जिलों के स्कूल और कालेजों में इसकी शुरुआत का ऐलान एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया है.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस पायलट प्रोजेक्ट की जानकारी अपने ट्वीटर हैंडल पर साझा की है. इसके मुताबिक पंजाब के सीमाई जिलों अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर के सभी सरकारी स्कूलों में 9 वीं और 11 कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों के अलावा कालेजों के प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए एनसीसी की ट्रेनिंग अनिवार्य करने का फैसला लिया गया है. इसका मकसद इन क्षेत्रों के विद्यार्थियों को सशस्त्र बलों में नौकरी करने के लायक तैयार करना है.

क्या कहा था तब मनोहर पर्रीकर ने :

भारत की आज़ादी के अगले साल यानि 1948 में संसद में पास किये गये प्रस्ताव के बाद ये संगठन यानि राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps – NCC) वजूद में आया जो रक्षा मंत्रालय के तहत आता है. और तभी से वक्त वक्त पर छात्रों को इसकी अनिवार्य ट्रेनिंग दिए जाने की बात उठती रही है. हालांकि तीन साल पहले , भारत के तत्कालीन रक्षा मन्त्री मनोहर पर्रिकर ने ये स्पष्ट कर दिया था कि NCC की ट्रेनिंग की अनिवार्यता ढांचागत संसाधनों की कमी की वजह से लागू नहीं की जा सकती. लोकसभा में अगस्त 2016 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था 13 लाख की जगह 4 करोड़ युवाओं को एनसीसी का प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता. उन्होंने ये स्पष्ट किया था कि इतने संसाधन हैं ही नहीं.

एनसीसी की अहमियत :

रक्षा मंत्रालय के अधीन इस संगठन की अहमियत का अंदाजा इससे भी आसानी से लगाया जा सकता है कि NCC का प्रभारी भारतीय सेना में सेवारत लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी होता है वैसे एनसीसी के प्रशिक्षत प्राप्त कैडेट को कई तरह के लाभ होते हैं. ना सिर्फ कालेजों में बल्कि सेना में भर्ती होने के रास्ते भी एनसीसी की ट्रेनिंग खोल देती है. एनसीसी का ‘सी’ सर्टिफिकेट हासिल करने वाले कैडेट को स्टाफ सलेक्शन बोर्ड (SSB) परीक्षा पास करके अधिकारी बनने के एंट्री परीक्षा पास करने की ज़रूरत ही नहीं होती.