भारत के रक्षा मंत्रालय ने समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और चौकसी बढ़ाने के मकसद से लिए गये फैसले के तहत 15000 करोड़ रुपया लागत से जहाज, नौका और उपकरण रक्षा मंत्रालय को खरीदने के लिए अनुरोध प्रस्ताव जारी किये हैं. ये सारा साजो सामान भारतीय नौसेना (Indian Navy) और तटरक्षक बल (Indian Coast Guard) के लिए खरीदा जा रहा है.
रक्षा मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक विभिन्न जहाजों और नौकाओं को प्राप्त करने के लिए पोत निर्माण से संबंधित 15,000 करोड़ रुपये की धनराशि के चार आरएफपी ( Requests for Proposal) के लिए अनुरोध जारी किये हैं. सात शिपयार्ड को 6 उन्नत किस्म के मिसाइल पोत यानि एनजीएमवी ( Next Generation Missile Vessels-NGMV) के लिए आरएफपी जारी किये जा चुके हैं. तेज रफ्तार से चलने वाले गश्ती पोत एफपीवी (Fast Patrol Vessels) के लिए 8 आरएफपी और 12 हवाई सुरक्षा के लिए एसीवी (Air Cushion Vehicles) और 8 मिसाइल गोला बारूद वाली नौकाओं ( Missile-cum-Ammunition Barges) चुने हुए भारतीय शिपयार्डों को जारी किये जा चुके हैं.
प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक एसीवी के लिए आरएफपी में भारतीय थलसेना के लिए आरंभिक तौर पर आवश्यक 6 एसीवी भी शामिल हैं. इसके के अलावा अगले कुछ महीनों में और पोत निर्माण परियोजनाओं के लिए प्रस्ताव जारी होने की संभावना है.
मंत्रालय का कहना है कि नौसेना और तटरक्षक बल के लिए अलग अलग तरह के जहाज़ और नौकाओं की पोत निर्माण परियोजनाओँ के लिए आरएफपी के लिए शिपयार्डों को योग्य ठहराने की प्रक्रिया को और निष्पक्ष बनाने तथा बड़ी संख्या में भारतीय शिपयार्डों को साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय द्वारा भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के साथ एक अभ्यास किया गया है. इससे शिपयार्डों की क्षमता के आकलन के लिए हाल ही में घोषित दिशा-निर्देशों को तर्कसंगत बनाया गया है. वित्तीय चयन मापदंड को तर्कसंगत बनाने से बड़ी संख्या में लंबित पोत निर्माण परियोजनाओं के लिए आरएफपी जारी किये जाने रास्ता खुला है.
वहीं , छोटे शिपयार्डों को परियोजनाओं में शामिल करने की कवायद भी गई है. उनकी भागीदारी प्रोत्साहित करने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए 75 करोड़ रुपये से कम पूर्वानुमानित वार्षिक आउटफ्लो औसतन 500 करोड़ रुपये से कम सलाना कारोबार वाले छोटे शिपयार्डों तक सीमित कर दिया गया है.
सैन्य और तटीय निगरानी में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के अलावा एयर कुशन व्हीकल्स (एसीवी) की नागरिक परिवहन जैसे व्यवसायिक क्षेत्र, आपदा प्रबंधन और पर्यटन में भी व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं. भारत में कम लागत पर इन नौकाओं के निर्माण के लिए उपयुक्त डिजाइन और निर्माण तकनीक अपनाने की जरूरत पर विचार किया है . इसी नजरिये से इंडियन शिपयार्ड द्वारा एसीवी के विदेशी डिजाइन हाउस के साथ सहयोग से संयुक्त रूप से डिजाइन तैयार करने को प्रोत्साहित करना अथवा महत्वपूर्ण भारतीय संतुष्टि के साथ एसीवी के निर्माण के लिए डिजाइन की सोर्सिंग को एसीवी के आरएफपी में शामिल किया गया है.