भारत में बना पहला विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत (ins vikrant) आज औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना के बेड़े में कमीशन कर दिया गया. तमाम तरह के ट्रायल के बाद, तय कार्यक्रम के मुताबिक़ आज सुबह केरल के कोच्चि में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने आई एन एस विक्रांत को जल अवतरित किया. आईएनएस भारतीय समुद्र इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और पेचीदा युद्धपोत है.
आईएनएस विक्रांत 20000 करोड़ की लागत से बना एक ऐसा युद्धपोत है जिसमें सभी मशीनें और पुर्जे भारत निर्मित होने का दावा किया गया है. ये सब भारत के मध्यम और लघु उद्योगों में बनाए गए है. इस लिहाज़ से भारत में बना अपने किस्म का पहला विमानवाहक युद्धपोत है. छत्रपति शिवाजी को समर्पित आईएनएस विक्रांत पर नया नौसैनिक निशान वाला झंडा भी लगाया गया है क्योंकि पुराने को उपनिवेशवाद की स्मृति की तरह देखा गया है. पीएम मोदी ने ये झंडा फहराया. इस अवसर पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, केन्द्रीय बंदरगाह, जहाजरानी व जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट समेत विभिन्न सांसद, विधायक राजनीतिक दलों के नेता समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे. इस अवसर पर पीएम मोदी, राजनाथ सिंह के अलावा भारत के नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार ने भी संबोधन किया. नौसेना के कई वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा अन्य सेना के अन्य अंगों के भी अधिकारी और सेवानिवृत्त अधिकारी इस मौके पर मौजूद थे.
एडमिरल हरि कुमार (admiral hari kumar) ने आईएनएस विक्रांत के कमान अधिकारी (commanding officer ) और युद्धपोत दल के तमाम सदस्यों को बधाई दी और कहा कि वे 36 साल की सेवा और 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले आईएनएस विक्रांत की गौरवपूर्ण परम्परा को आगे बढ़ाएंगे. उल्लेखनीय है कि आईएनएस विक्रांत भारत का पहला सबसे बड़ा युद्धपोत था. उसी के नाम को जारी रखते हुए भारत में निर्मित पूर्ण रूप से स्वदेशी इस विमानवाहक युद्धपोत का नाम रखा गया है.
केरल के समुद्र तट पर इस अवसर पर अपने संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) ने कहा कि प्रत्येक भारतवासी इस समय एक नए भविष्य के सूर्योदय का गवाह बन रहा है. उन्होंने कहा कि आज हम भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के मज़बूत व सक्षम भारत के सपने को साकार होता देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि विक्रांत महज़ एक युद्धपोत नहीं है ये 21 सदी में भारत के संकल्प, मेहनत, प्रतिभा और प्रभाव का सबूत है. विक्रांत भारत के आत्मनिर्भर होने का अनूठा प्रतिबिम्ब है.
उन्होंने नौसेना के नए निशान वाले झंडे का ज़िक्र करते हुए पुराने झंडे को गुलामी का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि 2 सितंबर ऐतिहासिक दिन हो गया है जब गुलामी के निशान और बोझ से मुक्ति मिली. अब छत्रपति शिवाजी से प्रेरित नौसेना का नया ध्वज समुद्र से आकाश तक लहराता रहेगा.
17 साल में तैयार नौसेना का आईएसी विक्रांत 2 सितंबर को समुद्र में उतरेगा