भारत में 1857 की क्रांति के उद्गम स्थल के लिए मशहूर और देश के सबसे पुराने छावनी क्षेत्रों में से एक मेरठ कैंट (Meerut Cantonment) की सड़कों पर जगह जगह खास किस्म की सृजनशीलता के नमूने दिखाई देते हैं. बरबस ही अपनी तरफ ध्यान खींच लेने वाले ये वो पुराने घिसे हुए टायर हैं जो सेना की गाड़ियों से उतरने के बाद कबाड़ बन जाते हैं. यहाँ इनका इस्तेमाल सड़क यातायात प्रबन्धन में किया गया है.
बेकार होने के बावजूद उपयोगिता के नज़रिए से बेहतरीन, इन टायरों से कुछ जगह पर अस्थायी बैरिकेड्स बनाये गये हैं ताकि ज्यादा रफ़्तार से आ रहे वाहनों को कुछ धीमा किया जा सके. इससे दो काम हो जाते हैं. पहला तो तेज रफ्तारी का इलाज और दूसरा, वाहन धीमा होने पर उस पर सवार लोग आसपास तैनात सैनिकों की निगाह से जल्दी और आसानी से बचके नहीं निकल पाते. साइज़ और ज़रूरत के हिसाब से प्रत्येक बैरिकेड में 9 से लेकर 12 टायर इस्तेमाल किये गये हैं.
- काम भी, कला भी
वाहन चालकों को दूर से ही दिखाई दें, इसके लिए इन काले टायरों पर सफ़ेद पेंट किया गया है. रात के वक्त अँधेरे में इनकी दृश्यता (Visibility) बढ़ाने के लिए इन पर अलग अलग फ्लोरसेंट रंग के स्टीकर चिपकाए हुए हैं ताकि जरा सी रोशनी में भी, इन पर, ड्राइवर की नज़र पड़ जाए. कहीं कहीं तो बेहद सुव्यवस्थित तरीके से रखे गये ये टायर कलाकृति का भान देते हैं. पहली बार इन्हें देखने वाला वैसे ही मुस्कुरा देता है जैसी मुस्कराहट चंडीगढ़ के उसी विश्व प्रसिद्ध, नेकचंद निर्मित रॉक गार्डन को देखने से होठों पर आती है जिसमें कबाड़ और टूटे फूटे सामान से कलाकृतियाँ बनाई गयी हैं. बैरिकेड के अलावा इनका इस्तेमाल सड़क बांटने और तिराहे चौराहे पर छोटा गोलचक्कर बनाने में भी किया गया है.
- सस्ते और टिकाऊ
भारत में सड़कों पर आमतौर से बैरिकेडिंग के लिए, पुलिस या अन्य बल लोहे की ग्रिल वाले भारी भरकम बैरिकेड्स इस्तेमाल करती हैं जो न सिर्फ ऐसे बैरिकेड्स से महंगे हैं बल्कि उन्हें लाना ले जाना भी आसान नहीं है. कुछ जगहों पर इस काम में रेत की बोरियां भी इस्तेमाल की जाती हैं. बरसात और धूप की वजह से न ही वह ज्यादा समय तक काम के लायक रहती हैं और न ही उनकी जगह नई बोरियां लाना आसान होता है. ज्यादा मेहनत के अलावा उन पर भी लागत तो आती ही है. पत्थर के बैरिकेड्स खतरनाक और बेहद भारी होते हैं और उन्हें ज़रूरत के मुताबिक़ जल्दी से हटाना या फिर से लगाना मुश्किल काम है.
- असरदार और सुरक्षित
ऐसे में रबर के टायरों के ये बेरिकेड्स कई मामलों में ज्यादा उपयोगी तो लगते ही हैं बल्कि नाममात्र की लागत में तैयार किये जा सकते हैं, ले जाये भी और सम्भाले भी जा सकते हैं. टायरों के बैरिकेड्स, कुछ पहलुओं से देखा जाये तो उन परम्परागत अवरोधकों से बेहतर हैं जो कानून व्यवस्था या ट्रैफिक बंदोबस्त के लिए जिम्मेदार एजेंसियां इस्तेमाल में लाती हैं. अगर गलती से या दुर्घटनावश कोई वाहन इनसे टकरा जाये तो इनसे वाहन तो रुक जाएगा लेकिन वाहन को उतना नुकसान या चालक को उतनी चोट नहीं पहुंचेगी जितनी लोहे या पत्थर के बैरिकेड से पहुंचती है.