भारत और उज्बेकिस्तान की सेनायें कल (4 नवम्बर) से उज्बेकिस्तान में ‘डस्टलिक 2019’ प्रशिक्षण अभियान में साझे तौर पर हिस्सा लेंगी, दस दिवसीय ये ट्रेनिंग ताशकंद के पास चिरचिउक प्रशिक्षण क्षेत्र में आयोजित होगी. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उज्बेकिस्तान के रक्षा मंत्री मेजर जनरल बखोदिर निजामोविच कुर्बानोव ने भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त अभ्यास “डस्टलिक 2019” के “कर्टन रेज़र” की अध्यक्षता की. ये ट्रेनिंग आतंकवाद से मुकाबला करने से सम्बन्धित गतिविधियों पर केंद्रित किया जाएगा, जो एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें दोनों देश समान चिंता साझा करते हैं. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तीन दिन की उज्बेकिस्तान की यात्रा हैं. यह किसी भारतीय रक्षा मंत्री का लगभग 15 वर्षों में उज्बेकिस्तान का पहला दौरा है.
‘डस्टलिक 2019 ‘ अभ्यास में, भारतीय सेना की एक टुकड़ी उज्बेकिस्तान सेना के साथ प्रशिक्षण देगी. रक्षा मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह अभ्यास दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों को साझा करने में सक्षम होगा और अधिक परिचालनगत प्रभावोत्पादकता पैदा करेगा. दोनों रक्षा मंत्रियों ने ताशकंद में कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट और सिकंदराबाद में सशस्त्र सेना अकादमी के बीच एक वीडियो-लिंक पर पहली बार हुआ आदान-प्रदान भी देखा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ताशकंद की अपनी इस यात्रा के दौरान उज़्बेकिस्तान के रक्षा मंत्री मेजर जनरल बखोदिर निज़ामोविच कुर्बानोव के साथ द्विपक्षीय परामर्श किया. बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने सितंबर 2018 में उज़्बेकिस्तान के तत्कालीन रक्षा मंत्री की भारत यात्रा के बाद से भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग के बढ़े हुए स्तर पर संतोष ज़ाहिर किया. सहयोग का यह बढ़ा हुआ स्तर फरवरी 2019 में रक्षा सहयोग पर जेडब्ल्यूजी की पहली बैठक, मार्च 2019 में भारत के रक्षा सचिव की यात्रा और सितंबर 2019 में ताशकंद में पहली बार आयोजित रक्षा-उद्योग कार्यशाला में प्रदर्शित हुआ.
विज्ञप्ति में बताया गया है कि भारत ने, भारत से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए उज्बेकिस्तान को 40 मिलियन अमेरिकन डालर के रियायती क़र्ज़ की पेशकश की है. दोनों पक्षों के बीच सशस्त्र बलों के बीच प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और शिक्षा से संबंधित प्रत्यक्ष आदान-प्रदान में भी खासी बढ़ोतरी देखी गई है.
रक्षा मंत्रियों राजनाथ सिंह और मेजर जनरल बखोदिर निजामोविच कुर्बानोव ने इस बात पर रज़ामंदी ज़ाहिर की कि दोनों पक्ष भारत और उज्बेकिस्तान के बीच रणनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए रक्षा क्षेत्र में अपने स्तर को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे. यह दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सम्मान के उच्च स्तर और क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने और चरमपंथ और आतंकवाद का मुकाबला करने सहित क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर उनके साझा विचारों और नज़रिये की बिनाह पर होगा.
बैठक के बाद, दोनों पक्षों ने दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सैन्य चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया. आने वाले दिनों में, दोनों पक्ष इस क्षेत्र में अपने आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ स्तर पर चर्चा जारी रखेंगे. दोनों देशों के उच्च सैन्य शिक्षण संस्थानों के बीच प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर दो संस्थान से संस्थान समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए. यह एमओयू अक्टूबर 2018 में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित सैन्य शिक्षा पर समझौता ज्ञापन से निकलने वाली बातचीत का एक परिणाम है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मेजर जनरल कुर्बानोव को भारत और उज्बेकिस्तान के बीच उच्चस्तरीय राजनीतिक सैन्य वार्ता जारी रखने के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया.