जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन 83 बरस के थे और उन्होंने सेना में 43 बरस की सेवा थी. जनरल पद्मनाभन के परिवार में पत्नी और बेटा हैं . अंतिम संस्कार उनके बेटे के अमेरिका से लौटने पर मंगलवार को किया जाएगा.केरल की राजधानी थिरुअनन्तपुरम में 5 दिसम्बर 1940 को जन्मे जनरल सुंदराजन ( general sundararajan padhamanabhan) ने करगिल युद्ध के बाद अक्टूबर 2000 में सेना की कमान संभाली थी और दिसंबर 2022 तक भारत के चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ (chief of army staff ) रहे.
राष्ट्रीय इंडियन मिलिटरी कॉलेज (देहरादून ) और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ( national defence academy) के छात्र रहे रहे जनरल पद्मनाभन का जुलाई 1993 से फरवरी 1995 तक का कार्यकाल शानदार उपलब्धि वाला रहा. वह तब जम्मू कश्मीर स्थित सेना की 15वीं कोर ( 15 corps ) के कमांडर थे . उनके इस कार्यकाल के दौरान सेना ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का जोरदार तरीके से मुकाबला किया. इसके बाद उनको मिलिटरी इंटेलिजेंस का महानिदेशक ( director general military intelligence ) बनाया गया था. साथ ही उनको अति विशिष्ट सेवा पदक ( avsm )से अलंकृत किया गया था.
भारतीय रक्षा अकादमी ( indian military academy) देहरादून से स्नातक हुए जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन ने दिसंबर 1959 में आर्टिलरी में कमीशन हासिल किया था. सेनाध्यक्ष बनाए जाने से पहले जनरल पद्मनाभन भारतीय सेना की उत्तरी और दक्षिणी कमान के जनरल कमांडिंग ऑफिसर ( जीओसी ) रहे थे . 1977 से 1980 तक उन्होंने भारतीय सेना की वह ऐतिहासिक व प्रतिष्ठित गज़ाला माउंटेन रेजीमेंट कमांड की थी जो सभी अहम युद्धों में हिस्सा ले चुकी है .