भारतीय नौसेना का जहाज़ आईएनएस जल अश्व, कोविड 19 संकट की वजह से लागू किये गये विश्वव्यापी लॉक डाउन के दौरान, मालदीव में फंसे उन भारतीयों को सुरक्षित ले आया है जो इसमें शुक्रवार को सवार हुए थे. कुल मिलाकर 698 भारतीय नागरिक इस यात्रा के दौरान लाये गये जिनमें से ज़्यादातर दक्षिण भारतीय राज्यों केरल और तमिलनाडु के हैं. जहाज़ ने इन सबको रविवार को कोच्चि बन्दरगाह पर उतारा है. इस यात्रा के लिये प्रत्येक सवारी के खर्चे के तौर पर 40 डॉलर लिये गये थे.
भारतीय नौसेना के ऑपरेशन समुद्र सेतु के तहत, मालदीव में फंसे भारतीय नागरिकों को वहां से लाने के लिए, इसी हफ्ते दो जहाजों आईएनएस जल अश्व और मगर को भेजा गया था. जल अश्व ने शुक्रवार की रात मालदीव से यात्रा शुरू की थी. मालदीव स्थित भारतीय राजनयिक के मुताबिक़ यात्रियों की ज़रूरत, मेडिकल आवश्यकता, आपात स्थिति आदि पहलुओं को ध्यान में रखकर प्राथमिकता के आधार पर इन्हें लाया गया. इन 698 यात्रियों में लाई गई महिलाओं में 19 गर्भावस्था में हैं.
मालदीव से जल अश्व में लाये गये यात्रियों में से 40 केरल के, 110 तमिलनाडु के और 45 कर्नाटक के रहने वाले हैं. इनके अलावा आंध्र प्रदेश के 10, तेलंगाना के 9, आंध प्रदेश के 8 और लक्षद्वीप के निवासी हैं. हरियाणा , हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के 3 – 3 बाशिंदे है जो इस चक्कर में लाये गये. इनके अलावा गोवा और असम से भी ताल्लुक़ रखने वाला 1 – 1 यात्री इस जत्थे में था. यूँ तो लाये गये सभी यात्रियों को प्रारम्भिक मेडिकल जांच के बाद ही आने की इजाज़त दी गई लेकिन कोच्चि पहुँचने पर भी इनकी मेडिकल जांच की जा रही है. कोविड 19 संक्रमण के रोकथाम और इलाज के नज़रिये से तय प्रोटोकॉल के मुताबिक़ तमाम नियमों का यहाँ पहुंचे इन यात्रियों को पालन करना होगा. इसके तहत हरेक को 14 दिन के समय क्वारंटाइन में बिताना होगा जिसकी ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की है.
भारतीय और अन्य देशों के सैलानियों के लिए सैर सपाटे की पसंदीदा जगहों में से एक मालदीव में बड़ी तादाद पर्यटन कारोबार करने वाले लोग हैं लेकिन कोविड संकट की वजह से उनके कारोबार ठप हो गये और बहुत से लोग जो नौकरी करते थे उनके काम छूट गये.