भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम की विकसित की गई जबरदस्त मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल की तरह से किये जा रहे परीक्षणों की श्रृंखला में एक कामयाब टेस्ट फायर (Anti-Ship mode) और जुड़ गया जब इसे बंगाल की खाड़ी में भारतीय वायुसेना के राजपूत श्रेणी के युद्धपोत आईएनएस रणविजय से दागा गया. इस परीक्षण के दौरान एक ऐसे पुराने पोत को टारगेट बनाया गया था जो ‘डी कमीशन’ किया जा चुका है.
यूँ किया गया टेस्ट फायर :
भारतीय नौसेना ने सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस का ये परीक्षण मंगलवार की सुबह 9 बजे किया था. नौसेना ने ट्वीट करके इस बारे में जो जानकारी दी उसमें कहा गया है कि ये युद्धपोत रोधी मिसाइल का परीक्षण युद्ध के लिए तैयार रहने की कवायद के तौर पर किया गया था. मिसाइल ने अधिकतम रेंज पर सटीक निशाना लगाते हुए बंगाल की खाड़ी में लक्ष्य को भेद डाला. 24 नवम्बर को भी इस मिसाइल का सफल परीक्षण थल सेना ने किया था. ये मिसाइल अंडमान निकोबार द्वीप समूह के एक द्वीप बंगाल की खाड़ी में मौजूद टारगेट पर दागी गई थी. भारतीय नौसेना ने इसे साल 2005 से अग्रिम मोर्चे के युद्धपोतों पर तैनात करना शुरू किया था.
कौन बनाता है ब्रह्मोस मिसाइल :
भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम जोड़कर इस मिसाइल का नामकरण किया गया और इसका निर्माण ब्रह्मोस एरोस्पेस कर रहा है जो कि भारत के रक्षा अनुसन्धान विकास संगठन (डीआरडीओ -DRDO ) और रूस के मोशिनोस्त्रोयेनिया का संयुक्त उपक्रम है.
हर जगह निशाना लगाती है ब्रह्मोस :
ब्रह्मोस मिसाइल का पहला परीक्षण 2001 में किया गया था. तब से अब तक इसके विभिन्न संस्करण बनाये और परखे जा चुके हैं. ज़मीन से ज़मीन पर, समुद्र में युद्धपोत से ज़मीन पर, युद्धपोत से दुश्मन युद्धपोत पर और पनडुब्बी से भी इसके कामयाब टेस्ट फायर किये जा चुके हैं. भारतीय वायु सेना के लड़ाकू जहाज़ सुखोई -30 से दाग कर भी इसे आजमाया जा चुका है. भारतीय थल सेना ने भी इससे सटीक निशाना लगाया है.
ब्रह्मोस की खासियत :
शुरुआत में इसकी रेंज 290 थी लेकिन विभिन्न संस्करणों के साथ साथ इसकी रेंज भी बढ़ाई गई. अब सुपर सोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस 400 किलोमीटर फासले पर मौजूद दुश्मन के ठिकाने को नेस्तनाबूद कर सकती है. इसको दागे जाने का दुश्मन को पता भी नहीं चल पाता क्यूंकि ये राडार की पकड़ में भी नहीं आती. युद्धपोत से एक यूनिट से 2 .5 सेकंड के अंतराल पर एक एक करके 8 मिसाइल दागी जा सकती हैं. युद्धपोत में तैनात ये प्रणाली दुश्मन के आधुनिक रक्षा उपकरणों से लैस जहाज़ी बेड़े को आसानी से तबाह करने की ताकत रखती है. भारतीय युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस अब प्रमुख शस्त्र बन गया है.