ये खबर भारतीय सेना से जुड़े उस संगठन से है जो बिना हथियार भी भारत के सरहदों की रक्षा करने में उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितनी दुश्मन से थल, जल, नभ से निगहबानी करने वाले सैनिक निभाते हैं. ये है सीमा सड़क संगठन यानि बीआरओ (Border Road Organisation – BRO) जिसके कार्मिकों ने, सरहदी इलाकों में या यूँ कहें कि सामरिक महत्त्व के क्षेत्रों में, तमाम तरह की चुनौतियों के बावजूद हाल ही में 6 पुलों का निर्माण कार्य पूरा कर डाला. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज इन पुलों का उद्घाटन किया. इसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों एवं पुलों की कनेक्टिविटी में एक नई क्रांति का सूत्रपात कहा जा सकता है.
जम्मू-कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB – आईबी) और नियंत्रण रेखा (LOC – एलओसी) के पास बने इन पुलों को न सिर्फ दुर्गम क्षेत्रों में खराब मौसम के बावजूद बनाने की स्थाई चुनौती बल्कि आतंकवाद और कोविड 19 जैसी वैश्विक महामारी के संक्रमण के नई चुनौती का सामना करते हुए बनाया गया है. यही नहीं बीआरओ के अधिकारियों और मजदूरों ने तमाम तकलीफों और खतरों को झेलते हुए इन पुलों का निर्माण कार्य रिकॉर्ड समय में पूरा किया.
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्लीर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये छह प्रमुख पुलों को राष्ट्र को समर्पित किया. इस काम के लिए बीआरओ के सभी योद्धाओं को बधाई दी. उन्होंने कहा कि सड़कें एवं पुल किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा हैं और इसके साथ ही ये दूर-दराज के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा, ‘लोगों को कनेक्टक करने वाले इन पुलों का उद्घाटन ऐसे समय में करना सचमुच एक सुखद अनुभव है जब पूरी दुनिया सामाजिक दूरी बनाए रखने, एक-दूसरे से अलग रहने पर ख़ास जोर दे रही है (कोविड-19 के कारण). मैं इस अहम काम को बड़े कौशल के साथ पूरा करने के लिए बीआरओ को बधाई देता हूं.’
बीआरओ की तारीफ़ करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘बीआरओ द्वारा पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और पुलों का निरंतर निर्माण करना दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच सुनिश्चित करने संबंधी सरकार के विजन को साकार करने में मददगार साबित होगा. सड़कें किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा हैं.’ उन्हों ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें न केवल सामरिक ताकत हैं, बल्कि ये दूरस्थब क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने का भी कार्य करती हैं. दरअसल, चाहे सशस्त्र बलों की सामरिक आवश्यकता हो या स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापार से संबंधित अन्य विकास कार्य हों, ये सभी कनेक्टिविटी से ही संभव हो पाते हैं.
बीआरओ की उपलब्धियां :
पिछले दो साल में नवीनतम तकनीकों और अत्याधुनिक उपकरण के इस्तेमाल से बीआरओ ने 2,200 किलोमीटर से ज़्यादा की कटाई की है, तकरीबन 4,200 किलोमीटर लंबी सड़कों की विशिष्टो ऊपरी सतह बनाई हैं और 5,800 मीटर लम्बे स्थायी पुलो बनाये हैं.
कठुआ जिले में तरनाह नाले पर दो पुल और अखनूर/जम्मू जिले में अखनूर-पल्लनवाला रोड पर चार पुल 30 से 300 मीटर तक फैले हुए हैं और ये कुल 43 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए. बीआरओ के ‘प्रोजेक्ट संपर्क’ के तहत बने इन पुलों से सशस्त्र बलों को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में आवाजाही करने में काफी सुविधा होगी ही, ये पुल दूरस्थर सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र आर्थिक विकास में भी अहम योगदान देंगे.
बीआरओ का बजट बढ़ा :
यह स्पष्ट है कि पिछले कुछ साल में बीआरओ के कार्यों में काफी तेजी आई है. यह इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में बीआरओ ने लगभग 30 प्रतिशत से ज़्यादा काम पूरे किये. इसका श्रेय जहां पर्याप्त बजटीय सहायता और ढांचागत सुधारों के सका रात्म क प्रभावों को जाता है वहीं बीआरओ की तरफ से पूरा ध्यान केन्द्रित करते हुए समर्पित प्रयास को भी जाता है. एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ बीआरओ का वार्षिक बजट वित्त वर्ष 2008-2016 के दौरान काफी भिन्नि 3,300 करोड़ रुपये से लेकर 4,600 करोड़ रुपये तक रहा, लेकिन वित्त वर्ष 2019-2020 में यह तेज उछाल के साथ 8,050 करोड़ रुपये के उच्चस स्तरर पर पहुंच गया. सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में बेहतरी पर सरकार के फोकस के मद्देनजर वित्त वर्ष 2020-2021 में इसका बजट 11,800 करोड़ रुपये होने की संभावना है.
इस अवसर पर बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने राष्ट्र निर्माण में बीआरओ के योगदान को रेखांकित किया और निरंतर मार्गदर्शन एवं सहयोग के लिए रक्षा मंत्री का धन्यवाद किया. उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि बीआरओ सरकार द्वारा निर्धारित हमारे समग्र राष्ट्रीय सामरिक उद्देश्यों के मुताबिक़ तय किए गए लक्ष्यों को प्राप्तग करने के लिए अपने प्रयास निरंतर जारी रखेगा. इस अवसर पर दिल्ली में थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार एवं बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह और साइट पर सेना एवं नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.