थल सेना में पहली बार : 5 महिलाओं को कर्नल ( टाइम स्केल ) का रैंक मिला

336
भारतीय सेना
प्रतीकात्मक फोटो

भारतीय सेना में स्थान और तरक्की के लिए पुरुषों के बराबर के हक के लिए संघर्ष कर रही महिलाओं के लिए ये अच्छी खबर है. सेना के सलेक्शन बोर्ड ( Selection Board of the Indian Army ) ने आज पांच महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक (Colonel rank) पर तरक्की दी है. उनको ये तरक्की देने का फैसला उनके गणना योग्य सेवा के 26 साल पूरे होने के अवसर लिया गया है. ये महिलाएं थल सेना की जिन शाखाओं में तैनात हैं वहां कर्नल के रैंक पर इससे पहले किसी को तरक्की नहीं मिली थी. सेना के चयन बोर्ड के आज के इस अहम निर्णय को अदालतों के फैसलों के दबाव और रूढ़िवादी सोच में बदलाव के नज़रिए से देखा जा रहा है. वहीँ इसे महिलाओं के लिए सेना में स्थाई कमीशन पाने के लिए लड़ी जा रही लड़ाई की कामयाबी और उस दिशा में खुलते रास्ते की तरह भी देखा जा रहा है.

चयन बोर्ड ने सेना की जिन पांच अधिकारियों को कर्नल रैंक ( टाइम स्केल ) देने का फैसला लिया है उनके नाम है: लेफ्टिनेंट कर्नल संगीता सरदाना , लेफ्टिनेंट कर्नल सोनिया आनंद , लेफ्टिनेंट कर्नल नवनीत दुग्गल , लेफ्टिनेंट कर्नल रीनू खन्ना और लेफ्टिनेंट कर्नल ऋचा सागर. इनमें से संगीता सरदाना सिग्नल कोर (Corps of Signals ) से , सोनिया आनंद और नवनीत दुग्गल इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर ( Corps of EME ) कोर से है जबकि रीनु खन्ना और ऋचा सागर इंजीनियर्स कोर (Corps of Engineers ) से हैं.

एक ख़ास यहाँ बताने लायक है कि यह पहली बार हुआ है जब कोर ऑफ सिग्नल के साथ साथ सेवारत महिला अधिकारी को इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) और कोर ऑफ इंजीनियर्स को कर्नल के लिए पद के लिए मंज़ूर किया गया है. अब तक महिला अधिकारियों को सेना चिकित्सा कोर (Army Medical Corps – AMC), जज एडवोकेट जनरल (Judge Advocate General – JAG) और सेना शिक्षा कोर ( Army Education Corps – AEC) में ही उच्च पदों पर तरक्की मिलती थी. अब उन्हें इन कोर में भी कर्नल और उससे ऊपर के रैंक तक पहुँचने के मौके मिलेंगे. इनसे एक फायदा ये भी होगा कि उन पदों पर खाली पड़ी रिक्तियां भरने में भी सेना को मदद मिलेगी. वहीं सेना में लिंग भेद के आधार पर मौके देने की लगातार तोहमत से घिरी सेना को इस दिशा में अपनी छवि सुधारने में भी सहायता होगी.

उल्लेखनीय है कि सेना में लिंग के आधार पर भेद भाव का मसला पिछले हफ्ते ही में फिर से सुर्ख़ियों का विषय बना था जब भारत की सर्वोच्च अदालत ( supreme court ) ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ( एनडीए – NDA ) की परीक्षा में महिलाओं को भी बैठने की इजाज़त देने सम्बन्धी अपना आदेश सुनाया था. तब अदालत ने सरकार और सेना को फटकार भी लगाई थी. हालांकि महिलाओं को एनडीए में दाखिले और ट्रेनिंग के पहलू पर अदालत अंतिम फैसला 5 सितम्बर को सुना सकती है.