शहीद मेजर मयंक विश्नोई को आखिरी सैल्यूट, 15 अगस्त को सेना मेडल मिला था

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मेजर मयंक विश्नोई (बाएं) की अंतिम यात्रा

जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में ज़ख़्मी हुए भारतीय सेना (Indian Army ) के मेजर मयंक विश्नोई ने ऊधमपुर स्थित मिलिटरी अस्पताल में इलाज के दौरान प्राण त्याग दिए. मेजर मयंक विश्नोई के पिता वीरेन्द्र विश्नोई भी भारतीय सेना में थे और सूबेदार के पद से रिटायर हुए थे. मेजर विश्नोई को इसी साल 15 अगस्त को सेना मेडल मिला था. बचपन से ही सेना में जाने के इच्छुक मेजर मयंक विश्नोई 30 साल के थे.

विश्नोई परिवार उत्तर प्रदेश की क्रान्तिधरा कहलाने वाले मेरठ शहर के कंकरखेड़ स्थित शिवलोकपुरी में रहता है. सैन्य सम्मान के साथ मेजर मयंक विश्नोई का अंतिम संस्कार आज रविवार को मेरठ में किया गया.

मेजर मयंक विश्नोई का अंतिम संस्कार

राजपुताना राइफल्स की 44 वीं बटालियन के मेजर विश्नोई 27 अगस्त को जम्मू कश्मीर के शोपियां में आतंकवादियों से मुकाबले में घायल हो गए थे. उस दिन से ऊधमपुर के मिलिटरी अस्पताल में ही उनका इलाज चल रहा था. अगले दिन से ही उनके परिवार वाले ऊधमपुर पहुँच गये थे. मेजर विश्नोई के सिर में गोली लगी थी. परिवार वालों से मिली सूचना के मुताबिक़ मेजर मयंक विश्नोई ने शनिवार की सुबह आखिरी सांस ली और वीरगति को प्राप्त हो गए. मेजर विश्नोई के परिवार में पिता सूबेदार (रिटायर्ड) वीरेन्द्र विश्नोई, माता मधु विश्नोई, पत्नी स्वाति विश्नोई और दो बहनें है.

मेजर मयंक के घर का माहौल

मेजर विश्नोई ने 2010 इंडियन मिलिटरी एकेडमी (आईएमए) से पास आउट होने के बाद राजपुताना राइफल्स में कमीशन हासिल किया था. मेजर विश्नोई 44 बरस के थे. पिता सूबेदार वीरेंद्र सिंह की प्रेरणा से ही वे सेना में भर्ती हुए थे.

मेजर मयंक परिजनों के साथ.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने राज्य सरकार की तरफ से मेजर विश्नोई के परिवार को 50 लाख रूपये की सहायता राशि देने, शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने और मेरठ ज़िले की एक सड़क का नाम शहीद मेजर मयंक विश्नोई मार्ग रखने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि शोक की इस घड़ी में वे परिवार के साथ हैं और सरकार की तरफ से उनकी हरसम्भव मदद की जाएगी.