करगिल योद्धा मेजर डीपी सिंह ने फिर जीता दिल, केबीसी में जीती रकम सेना को दी

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मेजर डी पी सिंह
मेजर डीपी सिंह ने केबीसी (kbc) में जीती गई रकम का चेक दिल्ली में एक मुलाक़ात के दौरान भारतीय सेना के ऐडजुडेंट जनरल को सौंपा.

करगिल योद्धा और भारत के पहले ब्लेड रनर मेजर डी पी सिंह का हरेक काम किसी न किसी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनता है. ऑपरेशन विजय के दौरान एक हमले में टांग गंवा चुके मेजर डी पी सिंह ने अब वो 17 .5 लाख रुपये सेना और सैनिकों के विभिन्न कल्याण कार्यक्रमों के लिए दिए हैं जो उन्होंने लोकप्रिय टीवी प्रोग्राम कौन बनेगा करोड़पति में एक विशेष एपिसोड के दौरान सवालों के जवाब देकर जीते थे.

मेजर डीपी सिंह ने केबीसी (kbc) में जीती गई रकम का चेक आज दिल्ली में एक मुलाक़ात के दौरान भारतीय सेना के ऐडजुडेंट जनरल को सौंपा. इस अवसर पर सेना के कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.

मेजर डी पी सिंह
मेजर डीपी सिंह दिल्ली में एक मुलाक़ात के दौरान भारतीय सेना के ऐडजुडेंट जनरल के साथ.

मेजर डीपी सिंह major d p singh करगिल युद्ध के दौरान छेड़े गए ऑपरेशन विजय में उस वक्त हमले में घायल हुए थे जब अखनूर सेक्टर में दुश्मन पाकिस्तानी सेना के बंकर के बेहद नज़दीक थे. उनके जिस्म पर इतने घाव थे कि जब अस्पताल लाये गए तो वे हिल भी नहीं पा रहे थे. उनकी हालत देखकर डॉक्टरों ने पहले तो उनको मृत घोषित कर डाला था. लम्बे चले ईलाज के दौरान, गज़ब जिजीविषा वाले इस भारतीय फौजी ने न सिर्फ मौत को हराया बल्कि अपनी एक टांग गंवाने के बाद मैराथन तक दौड़ने की शुरुआत की. नकली टांग के सहारे उन्होंने दौड़ मुकाबलों में उतरना शुरू किया. यही नहीं उन्होंने ब्लेड फिट करके भी दौड़ना शुरू कर दिया. ऊंचाई से छलांग लगाकर भी उन्होंने रिकॉर्ड बनाया. दिव्यांगजनों को वे विशेष ट्रेनिंग और मदद भी देते हैं.

मेजर डीपी सिंह पर जानलेवा हमला 15 जुलाई 1999 को हुआ था. अब वे उसी दिन को अपने जन्म दिवस के तौर पर भी मनाते हैं.