अफसर बना यह नौजवान बस 3 माह का था जब पिता कुरबान हुए

133
लेफ्टिनेंट नवतेशवर सिंह : पिता की ही बटालियन 18 ग्रेनेडियर्स में कमीशन हासिल किया
नवतेशवर  सिंह ने अपने पिता को ठीक से भी नहीं देखा था लेकिन उनके नक्शे कदम पर जीना और सेना में जाकर वतन की सेवा करने का सपना उसने ठीक से  होश संभालने से पहले ही पाल लिया था . यही उसके पिता  मेजर हरमिंदर पाल सिंह ने अपने पिता यानि  कैप्टन हरपाल सिंह से सीखा था. गर्व की बात यह है कि तीन पीढ़ी वाले इस फौजी परिवार का यह नौजवान नवतेशवर सिंह  भी अब उसी पलटन का हिस्सा बना जिसमें उसके पिता थे . यह है भारतीय सेना की 18 ग्रेनेडियर्स.
लेफ्नटिनेंट नवतेशवर सिंह का परिवार पंजाब के रोपड ज़िले के मुंडी खरड़ का  रहने वाला है.  भारतीय सेना ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर बड़े गर्व के साथ , नवतेशवर  सिंह के सेना में कमीशन प्राप्त करने की तस्वीर जारी की है. साथ ही लिखा है कि नतेशवर ने अपनी विरासत और परम्परा को बढ़ाया है .
मेजर हरमिंदर पाल सिंह की वीरता :   
 
नतेशवर सिंह सिर्फ तीन महीने का था जब उसके पिता मेजर हरमिंदर पाल सिंह ने अपनी जान की कुर्बानी दी थी. यह 13 अप्रैल 1999 की घटना है जब जम्मू कश्मीर के बारामुला ज़िले के एक गांव सुदरकुट  बाला  में आतंकवादियों की मौजूदगी की खबर मिलने पर मेजर हर्मिदर पाल सिंह अपने 50 साथियों के साथ वहां पहुंचे. उन्होंने उस मकान की घेराबंदी कर ली थी . इसी भीतर  छिपे आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी . एक गोली मेजर हरमिंदर सिंह की बांह में लगी लेकिन  आगे बढ़कर आतंकवादियों से मुकाबला जारी रखा . बावजूद इसके , अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने उस  खिड़की के पास जाकर भीतर छिपे  आतंकवादियों पर फायरिंग की और  दो  को ढेर कर डाला . इसी बीच वहां छिपे तीसरे आतंकवादी ने उनकों सिर में गोली मारी  लेकिन मेजर हरमिंदर पाल सिंह ने  आख़री सांस तक दुश्मन का  मुकाबला किया.
मेजर हरमिंदर पाल सिंह ( शौर्य चक्र , मरणोपरांत )
आतंकवादियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए  मेजर हरमिंदर पाल सिंह को सरकार ने वीरता और साहस के लिए सामान दिया . मेजर हरमिंदर पाल सिंह को शौर्य चक्र ( shaurya chakra) से नवाज़ा गया .  मेजर हरमिंदर पाल सिंह के पिता भी भारतीय सेना से कैप्टन के तौर पर रिटायर हए थे.