करगिल युद्ध के हीरो और परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सेना के राइफल मैन संजय कुमार को तरक्की देकर अब सूबेदार मेजर बनाया गया है. 13 जम्मू कश्मीर राइफल (13 JAK RIF ) के सूबेदार संजय कुमार अभी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (national defence academy – एनडीए) में इंस्ट्रक्टर हैं. संजय कुमार भारतीय सैन्य पम्परा के जीते जागते रोल मॉडल हैं जो कइयों के लिए प्रेरणा भी हैं.
एनडीए के कमांडेंट एयर मार्शल संजीव कपूर ने संजय कुमार को सूबेदार मेजर के रैंक लगाये. वर्तमान में परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सेना में तैनात सूबेदार मेजर संजय कुमार एकमात्र अधिकारी हैं.
धुन के पक्के :
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के रहने वाले सूबेदार मेजर संजय कुमार का जन्म 3 मार्च 1976 को कलोल बल्किन गांव में हुआ था. गांव से आने दिल्ली के बाद सेना में भर्ती से पहले उन्होंने टैक्सी चालक का काम भी किया था. लेकिन धुन के पक्के संजय कुमार ने कोशिश करना नहीं छोड़ा. वो तीन बार भर्ती के दौरान अस्वीकार किये जा चुके थे. आखिर चौथी बार में उन्हें कामयाबी मिली.
साहस और शूरवीरता :
भारतीय सेना के राइफल मैन संजय कुमार 4 और 5 जुलाई 1999 को कारगिल में मश्को वैली प्वाइंट 5875 पर फ्लैट टॉप पर अपने 11 साथियों समेत तैनात थे. इस जगह पर दुश्मन उन पर ऊपर पहाड़ी से हमला कर रहा था. इसमें टीम के दो शहीद हो चुके थे जबकि 8 बुरी तरह ज़ख़्मी थे. संजय कुमार भी अपनी राइफल के साथ दुश्मन को तगड़ा जवाब दे रहे थे लेकिन इस दौरान एक वक्त ऐसा आया कि संजय कुमार की राइफल में गोलियां खत्म हो गई. इसी बीच संजय कुमार को भी तीन गोलियां लग गई. दो उनकी टांगों में और एक गोली पीठ में लगी थी. संजय कुमार भी काफी घायल हो चुके थे.
यूं मिली कामयाबी :
ऐसे में संजय कुमार ने तय किया कि दुश्मन के ठिकाने को अचानक हमले से ध्वस्त किया जाए. इस इरादे से संजय कुमार ने एकदम अचानक उस जगह पर हमला करके आमने-सामने की मुठभेड़ में 3 दुश्मन सैनिकों को ढेर कर डाला. इसके बाद जोश में गोलाबारी करते हुए वे दूसरे ठिकाने की ओर बढ़े. लहूलुहान होने के बावजूद संजय ने अपनी जान की परवाह नहीं की और दुश्मन पर टूट पड़े. अचानक हुए हमले से दुश्मन बौखला कर भाग खड़ा हुआ और इस भगदड़ में दुश्मन अपनी यूनिवर्सल मशीनगन भी छोड़ गए. संजय कुमार ने उस गन को भी हथियाया और उससे दुश्मन का ही सफाया शुरू कर दिया.
राइफल मैन संजय कुमार के इस कारनामे को देखकर उसकी टुकड़ी के दूसरे जवान काफी जोश में आ गये. उन्होंने ज़बरदस्त फुर्ती से दुश्मन के दूसरे ठिकानों पर धावा बोल दिया. जख्मी होने के बावजूद संजय कुमार तब तक दुश्मन से संघर्ष करते रहे जब तक कि प्वाइंट फ्लैट टॉप को पाकिस्तानियों से पूरी तरह खाली नहीं करा लिया. इसके बाद और फ़ोर्स वहां पहुंची और घायल संजय कुमार को तत्काल सैनिक अस्पताल ले जाया गया.