सशस्त्र बल पंचाट (आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल -Armed Forces Tribunal ) की नई दिल्ली स्थित प्रमुख बेंच ने देहरादून स्थित आईएमए यानि भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Academy – IMA) में ताजिकिस्तान के कैडेट्स से झड़प के बाद 2 भारतीय कैडेट्स को निकाले जाने के सेना के फैसले पर फिलहाल रोक लगाने का आदेश दिया है. इन कैडेट्स पर ताजिकी कैडेट्स से मारपीट करने का आरोप है. पंचाट ने कहा है कि उसके अगले आदेश तक सेना के फैसले पर अमल रोका जाए.
दिलचस्प है कि दोनों कैडेट्स भारतीय सेना में जवान हैं और अकादमी में प्रशिक्षण के बाद अधिकारी बनने वाले थे. सेना के 7 जून के आदेश में इन दोनों कैडेट्स को अपनी अपनी उस इकाई में तैनाती के लिए वापस भेजे जाने के लिए कहा गया था जहां ये पहले से थे. इनमें से एक आर्टिलरी रेजिमेंट में गनर और दूसरा ईएमई (EME) में तैनात था.
अंग्रेज़ी समाचार पत्र इन्डियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक़ गुरूवार को ट्रिब्यूनल की जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद मेनन और लेफ्टिनेंट जनरल पी एम हारिज़ वाली खंडपीठ ने दोनों कैडेट्स की तरफ से दायर याचिका पर दिए अपने आदेश में इन कैडेट्स के खिलाफ कोर्स से निकाले जाने की कार्रवाई की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि प्रथमदृष्टया लगता है कि इस मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की ज़रूरत को पूरा नहीं किया गया और ज़रूरी प्रावधान नहीं अपनाये गए. पंचाट ने अगली सुनवाई तक के लिए सेना के आदेश पर रोक लगाने के लिए कहा है. इस मामले में दाखिल हलफनामे पर विचार करने के बाद आदेश दिया जायेगा.
इंडियन एक्सप्रेस ने आईएमए में 3 मार्च को झड़प में दोषी पाए जाने पर 6 भारतीय और 4 ताजिकी कैडेट्स के खिलाफ सेना की कार्रवाई का समाचार प्रकाशित किया था. ये झड़प 24 फरवरी और 2 मार्च को हुई लड़ाइयों का नतीजा थी. इस खबर के मुताबिक़ सेना ने बटालियन कमांडर और आईएमए के कुछ उन और अधिकारियों के खिलाफ सेंश्योर की कार्यवाही के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिन्होंने हालात को समझा नहीं और सही समय पर कार्रवाही नहीं की.
ट्रिब्यूनल में दायर अपनी याचिका में दो कैडेट्स में से एक ने कहा है कि वो करियप्पा बटालियन की हाजी पीर कम्पनी में तीसरे टर्म का कैडेट है और 12 जून को पासिंग आउट के बाद अधिकारी बनके निकलने वाला था जबकि उसे 7 जून को अकादमी से हटाकर नासिक स्थित आर्टिलरी सेंटर में पुराने गनर वाले रैंक पर लगाने के लिए कह दिया गया.
इस कैडेट का कहना था कि 3 मार्च 2021 को 21 ताज़िकिस्तानी जेंटलमेन कैडेट्स उनके कमरे में घुसे और कुंडे तोड़ दिए और वहां मौजूद भारतीय कैडेट्स पर हॉकी और रॉड से हमला किया जिससे कि मेडिको लीगल केस भी बना. याचिकाकर्ता कैडेट का कहना है कि उसके साथ 7 और भारतीय जेंटलमैन कैडेट्स को देहरादून मिलिटरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां शुरू में उनको आईसीयू में रखा गया.