‘भारत माता तेरी कसम ….तेरे रक्षक बनेंगे हम… ‘ इंडियन मिलिटरी अकादमी (आईएमए) गीत पर मार्च पास्ट करते जेंटलमैन कैडेट जब देहरादून में आईएमए में ड्रिल स्क्वायर पर पहुंचे तो लगा कि वीर जवानों का सैलाब उमड़ आया है. एक साथ उठते कदम और बाहें, उस पर गर्व से तने सीने दर्शक दीर्घा में बैठे हरेक शख्स के भीतर अलग तरह की ऊर्जा का संचार कर रहे थे.
भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में अंतिम पग भरते ही शनिवार को 341 नौजवान कैडेट्स भारतीय सेना का हिस्सा बन गए. इसके साथ ही 84 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए. कुल मिलाकर जो 425 कैडेट्स इस कोर्स में पास आउट हुए उनमें 148 नियमित और 131 टीजीसी कोर्स वाले थे. वहीं 9 मित्र देशों के 84 कैडेट्स भी इनमें शामिल थे.
पश्चिमी कमान के जीओसी-इन-सी ( जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ) लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह ने इस शानदार परेड की सलामी ली जो वैश्विक महामारी कोविड 19 के तमाम प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजित की गई थी. पिछली बार की तरह इस बार भी पास आउट हुए कैडेट्स के परिवारजन इस मौके पर आमंत्रित नहीं किये गये.
परम्परागत तरीके से मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ. कंपनी सार्जेट मेजर जयदीप सिंह, शिवजीत सिंह संधु, पीडी शेरपा, राहुल थापा, सक्षम गोस्वामी और जीतेंद्र सिंह शेखावत ने ड्रिल स्क्वायर पर अपना अपना स्थान लिया. ठीक 8 बजकर 01 मिनट पर एडवांस कॉल के साथ ही सीना ताने देश के भावी कर्णधार जबर्दस्त आत्म विश्वास से भरे कदम बढ़ाते परेड के लिए पहुंचे. फिर इसके बाद परेड कमांडर दीपक सिंह ने ड्रिल स्क्वायर पर अपनी जगह ली. कैडेट्स के शानदार मार्चपास्ट से दर्शक दीर्घा में बैठा हर एक शख्स मंत्रमुग्ध हो गया.
इस मौके पर लेफ्टिनेंट आरपी जनरल सिंह ने कैडेटों को ओवरऑल बेस्ट परफॉर्मेंस व अन्य उत्कृष्ट सम्मान प्रदान किये. मुकेश कुमार को सोर्ड ऑफ ऑनर (sword of honour ) प्रदान किया गया जो यहाँ आने वाले हरेक कैडेट का सबसे बड़ा सपना होता है. इस अवसर पर दीपक सिंह को स्वर्ण, मुकेश कुमार को रजत और लवनीत सिंह को कांस्य पदक मिला. दक्ष कुमार पंत ने सिल्वर मेडल (टीजी) हासिल किया. वहीं किन्ले नोरबू सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट चुने गए. इस दफा चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ बैनर डोगराई कंपनी को मिला.
पासिंग आउट समारोह के दौरान आईएमए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह, डिप्टी कमांडेंट मेजर जनरल जगजीत सिंह मंगत समेत कई सैन्य अधिकारी मौजूद थे. परेड के बाद फीत लगाने और शपथ ग्रहण की रस्म हुई. इसके साथ ही 425 जेंटलमैन कैडेट्स बतौर लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेना का अभिन्न अंग बन गए. इनमें 341 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थल सेना को मिले.