भारत -चीन के बीच लदाख सीमा पर जानलेवा झड़प में घायल हुए कई भारतीय सैनिकों का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है. ऐसे 18 सैनिक लेह स्थित अस्पताल में भर्ती हैं. दो दिन के कार्यक्रम के तहत सीमा पर हालात जायज़ा लेने और समीक्षा करने के लिए पहुंचे भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने लेह पहुँचते ही सबसे पहले उनसे मुलाक़ात की.
सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे ने 15 जून की रात गलवान घाटी में हुई झड़प के बारे में जानकारी ली और बहादुरी का परिचय देने के लिए उनको शाबाशी दी और हौसला बढ़ाया. भारतीय थल सेना की उत्तरी कमाण्ड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (जीओसी GOC-in-Chief) लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी और फायर एंड फ्यूरी के तौर पर लोकप्रिय सेना की 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भी सेनाध्यक्ष के साथ मौजूद थे. दिल्ली से मंगलवार को रवाना होते वक्त और लेह पहुँचने की यात्रा के दौरान उन्होंने कोविड 19 प्रोटोकॉल के तहत निश्चित तमाम नियमों का पालन किया.
इससे पहले दिल्ली में सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे ने सेना के कमांडरों के साथ बैठक की थी. वहीं दूसरी तरफ चीन-भारत की सीमाओं के सैनिक कमांडरों के बीच तकरीबन 11 दौर की बैठकों का दौर चला. इसके बाद सीमा पर संघर्ष और तनाव वाले क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं को हटाने का फैसला लिया गया.
शाम को लदाख के सांसद जम्यांग त्सेरिंग नामग्याल ने जब सेनाध्यक्ष से मुलाकात की तो जनरल नरवणे ने उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया कि लदाख के लोगों की सुरक्षा पर सेना किसी तरह की भी आंच नहीं आने देगी. लेह के हॉल ऑफ़ फेम में इस मुलाकात के दौरान सांसद नामग्याल ने भारतीय सेना प्रमुख को भो भरोसा दिलाया कि पड़ोसी देश चीन के साथ तनाव के इस दौर में लदाख के बाशिंदे पूरी तरह भारतीय फौजियों के साथ खड़े हैं. सांसद नामग्याल का ये भी कहना था कि इस तनाव का स्थाई हल निकलना चाहिए ताकि लोग यहाँ अमन चैन से रह सकें. जनरल नरवणे ने उनको यकीन दिलाया कि हालात कैसे भी हों, लदाख के भीतर का क्षेत्र हो या वास्तविक नियंत्रण वाला इलाका हो, तमाम जगह रहने वाले लोगों की सुरक्षा के प्रति वो आश्वस्त रहें. भारतीय सैनिक उनकी चौकसी पर दिन रात डटे हुए हैं .