भारतीय वायु सेना की हाल ही में फिर से परिचालित की गई ‘तीव्र और निर्भय’ ध्येय वाक्य वाली 18 वीं स्क्वाड्रन को हाल ही में निर्मित चौथी पीढ़ी के हल्के लड़ाकू विमान Mk 1 तेजस से लैस किया गया है. ‘फ़्लाइंग बुलेट्स’ कहलाने वाली ये वही स्क्वाड्रन है जिसका हिस्सा परमवीर चक्र से सम्मानित फ़्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह शेखों थे. भारतीय वायु सेना को अब तक एक ही परमवीर चक्र मिला है और इसी स्क्वाड्रन ने दिलाया.
बुधवार को तमिलनाडु के सुलुर में एक कार्यक्रम के दौरान सर्व धर्म प्रार्थना और नारियल फोड़ने की रस्म के साथ बहु भूमिकावान लड़ाकू विमान तेजस को 18 स्क्वाड्रन में शामिल किया गया. ये निश्चय ही भारत की वायुसेना की ताकत बढ़ाने वाला एक और कदम माना जा रहा है. एक इंजन वाला हल्का लड़ाकू विमान तेजस बेहद तेज़ तर्रार, हर मौसम में विभिन्न भूमिका निभाने की क्षमता रखने वाला ऐसा विमान है जिसमें उड़ान के दौरान आसमान में ही ईंधन भरा जा सकता है. कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विमानों की फोरमेशन के साथ शानदार फ्लाई पास्ट देखने को मिला.
भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने 18 स्क्वाड्रन के परिचालन की शुरुआत की. उन्होंने इस अवसर पर 45 वीं स्क्वाड्रन के तेजस विमान में उड़ान भी भरी. इस कार्यक्रम में दक्षिण कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल अमित तिवारी, 18 स्क्वाड्रन के कमोडोर कमान्डेंट एयर मार्शल टीडी जोसेफ और हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सीएमडी आर. माधवन के अलावा एचएएल व वायु सेना के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे. रस्म के तौर पर तेजस विमान के कागज़ात एचएएल (HAL) के सीएमडी आर. माधवन ने चीफ ऑफ़ एयर स्टाफ एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया को दिए और मार्शल भदौरिया ने उन कागज़ात के साथ विमान की चाबियाँ भी 18 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन मनीष तोलानी को सौंपी.
18 वीं स्क्वाड्रन 15 अप्रैल 1965 को अम्बाला (वर्तमान में हरियाणा) में फोलैंड नेट (Folland Gnat) से गठित की गई थी. फ़्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह शेखों ने इसी स्क्वाड्रन में फाइटर पायलट रह कर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया था. इसी स्क्वाड्रन ने एचएएल निर्मित तेजस और अजीत उड़ाए. पिछले कई साल मिग -27 ML इसी 18 स्क्वाड्रन का हिस्सा रहे. अप्रैल 2016 में स्क्वाड्रन को नम्बर प्लेट किया गया था.