भारत से अब चुनिंदा देशों को कुछ पुर्जों और घटकों का निर्यात और प्रौद्योगिकी का अंतर कंपनी हस्तांतरण हो सकेगा. असल में, इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने दो ओपन जनरल निर्यात लाइसेंस (ओजीईएल-OGEL) जारी करना तय किया था जिस पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अब मंजूरी दे दी है. उम्मीद है कि इस नये कदम से रक्षा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और कारोबार को आसान बनाने में और बढ़ोत्तरी होगी. ओजीईएल की मांग के आवेदन पर रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी DDP) मामला-दर-मामला के आधार पर विचार करेगा.
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ निर्यातकों की मांग पर, विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक सलाह मशविरे के बाद, डीडीपी ने इस ओजीईएल की नीति को तैयार करके रक्षा मंत्री के अनुमोदन के लिए पेश किया था. ओजीईएल के तहत अनुमति प्राप्त देशों में बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, जापान, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, इटली, पोलैंड और मैक्सिको को शामिल किया गया है. इसमें ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ की वस्तुओं के निर्यात की इजाज़त नहीं है.
नियमों के मुताबिक़, लाइसेंस लेने के लिए आवेदक के पास आयात-निर्यात प्रमाण-पत्र होना जरूरी है. ओजीईएल के तहत सभी लेन-देन की प्रत्येक तिमाही और वर्ष के अंत की रिपोर्टों को जांच और निर्यात बाद सत्यापन के लिए डीडीपी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए.
ओजीईएल के तहत अनुमति प्राप्त मदों में गोला बारूद के घटक और एनर्जीटिक तथा विस्फोटक सामग्री के बिना फ्यूज सेटिंग उपकरण, अग्नि नियंत्रण और संबंधित खतरे की सूचना और चेतावनी से संबंधित उपकरण तथा संबंधित प्रणाली और शरीर सुरक्षा मदें, पूर्ण वायुयान या पूरी तरह से मानव रहित वायुयान (यूएवी UAV) और यूएवी के लिए विशेष रूप से संशोधित या डिजाइन किये गये किसी भी घटक को इस लाइसेंस से बाहर रखा गया है.
अन्यक देशों को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण इस शर्त के अधीन है कि किसी भारतीय सहायक कंपनी (आवेदक निर्यातक) से अपनी विदेशी मूल कंपनी और/या विदेशी मूल कंपनी की सहायक कंपनी को निर्यात अंतर-कंपनी हस्तांतरण हो. ओजीईएल किसी कंपनी को शुरू में दो वर्ष की विशिष्ट अवधि के लिए एक बार दिया जाने वाला निर्यात लाइसेंस है.
प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ निर्यात लाईसेंस के बारे में ब्योरा https://www.defenceexim.gov.in/showfile.php?fname=OGEL-Parts या https://www.defenceexim.gov.in/showfile.php?fname=OGEL-ToT हाइपरलिंक्स से प्राप्त किया जा सकता है.
विज्ञप्ति में दी गई जानकारी के मुताबिक दो वर्षों में निर्यात में सात गुना बढ़ोत्तरी हुई है और 2018-19 में यह बढ़कर 10,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. बताया गया कि ऐसा मानक संचालन प्रक्रिया में सुधार और आवेदनों की ऑनलाइन मंजूरी के लिए एक पोर्टल की शुरुआत करने के कारण संभव हुआ है. इसके अलावा आवेदन जांच प्रक्रिया में लगने वाले समय में भी काफी कमी आई है.