पाकिस्तान के साथ १९७१ में लड़ी गई जंग में जीत के पचास साल पूरे होने पर मनाए जा रहे स्वर्णिम विजय वर्ष कार्यक्रमों के तहत भारत की राजधानी से दिल्ली से देश के अलग अलग कोने के लिए रवाना की गई स्वर्णिम विजय मशालों में से एक मशाल आज हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में पहुंची. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और मंडी के निवासियों ने स्वर्णिम विजय मशाल का भव्य स्वागत किया और 1971 के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी .
1971 के भारत – पाकिस्तान युद्ध में भारत के पहाड़ी सूबे हिमाचल प्रदेश के 195 सैनिक योद्धाओं ने अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया था. हिमाचल प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ब्रिगेडियर (रिटायर्ड ) खुशाल ठाकुर ने बताया कि पाकिस्तान के साथ १९७१ में लड़े गये युद्ध के शहीदों में जिला मंडी से ताल्लुक रखने वाले सैनिकों की तादाद 25 थी .1971 के युद्ध की वीर नारियों को भी आज सम्मानित किया गया.
ब्रिगेडियर ठाकुर पाकिस्तान के साथ 1999 -2000 में लड़े गए करगिल युद्ध के समय थल सेना 18 ग्रेनेडियर में कर्नल के ओहदे पर थे जिसके लिए उनको युद्ध सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया था. ब्रिगेडियर ठाकुर खुद भी मंडी जिले से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने बताया कि मंडी जिले से वर्तमान में तकरीबन 20000 पूर्व सैनिक है और तकरीबन 18000 सैनिक सेना में सेवारत हैं.
हिमाचल प्रदेश सरकार ने शहीद सैनिकों के सम्मान में मंडी में पिछले साल एक युद्ध स्मारक बनाया था जिसमे वीर योद्धाओं के नाम अंकित हैं. ब्रिगेडियर ठाकुर ने कहा कि हमे अपने वीर शहीदों पर गर्व है और उनके शौर्य और पराक्रम को नमन करते हैं. उन्होंने बताया कि मंडी जिले के वीर योद्धाओं को अब तक हुए युद्धों में 100 से ज्यादा वीरता पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार महावीर चक्र कोटली गांव के सूबेदार कांशीराम को 1962 मैं अदम्य साहस और वीरता के लिए प्रदान किया गया था.