भारत से हर बार युद्ध में हारी पाकिस्तानी सेना के नेतृत्व की नीयत और उपलब्धियों को लेकर अब पाकिस्तान के नेता ही सवाल उठा रहे हैं. असल में पाकिस्तान की सीनेट में संघीय ढांचे में बदलाव सम्बन्धी संविधान के 18 वें संशोधन के मामले पर बहस के दौरान अचानक ये सवाल तब उठा जब एक नेता ने पाकिस्तान के बजट का ज़िक्र करते-करते इसमें सेना के बजट का ज़िक्र कर डाला जो इस बार अच्छा खासा बढ़ाया गया है.
पाकिस्तान ने 2020 -21 के लिए जो बजट बनाया है उसमें सेना के लिए 1289 अरब रूपये रखे गये हैं जोकि पहले वित्तीय साल के मुकाबले 11 .9 फीसदी ज़्यादा है. कहा जा रहा है कि फरवरी 2019 में पुलवामा की घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव वाले हालात के कारण पाकिस्तान ने सेना और सुरक्षा का खर्च बढ़ाया.
सीनेट में, संविधान संशोधन और राष्ट्रीय वित्त आयोग (एनएफसी – NFC) अवार्ड पर चर्चा के दौरान प्रांतीय सरकारों को दिए जाने वाले धन में भेदभाव का मुद्दा उठा. इसी सन्दर्भ में चर्चा पर सीनेटर मौलाना अता उर रहमान ने सवालिया अंदाज़ में कहा कि पाकिस्तान सेना पर जो इतना खर्च कर रहा है क्या सेना बताएगी कि उसकी उपलब्धियां क्या हैं? क्या पाकिस्तान की सेना ने एक भी युद्ध जीता है? उन्होंने यहाँ तक इलज़ाम लगाते हुए पाकिस्तान की सेना के नेतृत्व को कटघरे में खड़ा किया कि सेना को जो काम करना चाहिये उस पर ध्यान नहीं दे रही बल्कि हुकूमत के काम में दखलन्दाजी करती रहती है.
मौलाना अता उर रहमान ने पाकिस्तान में सत्तारूढ़ इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए – इन्साफ पर इलज़ाम लगाया कि वह विदेशी ताकतों का प्यादा बनी हुई है और न सिर्फ सरकार को बल्कि पाकिस्तान के संघीय ढांचे को भी कमज़ोर कर रही है. इसके बाद वो अचानक सेना की बात करने लगे. उन्होंने कहा कि बजट का बहुत बड़ा हिस्सा सेना पर खर्च किया जाता है जोकि इस लायक नहीं है. पाकिस्तान की संघीय सरकार में पर्यटन मंत्री भी रह चुके सीनेटर मौलाना अता उर रहमान बोले कि 1947 में पाकिस्तान के गठन से लेकर अब तक सेना ने क्या उपलब्धियां हासिल की हैं जिसके लिए उसे पाकिस्तान के नागरिकों की जेब का पैसा निकाल कर दिया जाये. इस पर हंगामा भी होने लगा.
असल में पाकिस्तान के रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा कश्मीर पर खर्च होता है और लोकतान्त्रिक व्यवस्था होने के बावजूद वहां की सरकार सेना के दबाव में आकर बड़े फैसले लेती है. यूँ भी कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में सरकार बनाने से लेकर चलाने तक में वहां के नेताओं को सेना के पसंद-नापसन्द का ख्याल रखना पड़ता है खासतौर से अन्य देशों से सम्बन्धों और राजनयिक कूटनीति के मुद्दों पर. वहीं पाकिस्तान की सामरिक रणनीति की धुरी भी हमेशा से भारत ही रहा है. पाकिस्तान हमेशा भारत के मुकाबले में अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने की कोशिश करता रहता है. पाकिस्तान के 2020 – 21 के 1289 अरब के रक्षा बजट में पाकिस्तान नेवी के लिए 140 अरब रुपये, पाकिस्तान एयर फोर्स के लिये 274 अरब रुपये और थल सेना के लिए 613 अरब रुपये रखे गये हैं. वहीं 262 अरब रुपये का बजट इंटर सर्विसेस इस्टेब्लिशमेंट्स के लिए है.