करगिल विजय दिवस के मौके पर आज भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने दिल्ली स्थित युद्ध स्मारक पर वीर सैनिकों को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की. उधर भारत के सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने 22 वें करगिल विजय दिवस पर, युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को याद करते हुए कहा है कि देश उनका हमेशा ऋणी रहेगा.
सेनाध्यक्ष नरवणे ने अपने ट्वीटर संदेश में कहा, ” देश की अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा देने वाले नायकों को हम स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. राष्ट्र हमारे बहादुरों की शूरवीरता और बलिदान के लिए हमेशा कर्ज़दार रहेगा.”
1999 में जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान की कब्जाई अपनी सीमान्त फौजी चौकियों को छुड़ाने के लिए भारत की सेना ने ये युद्ध लड़ा था जो 60 दिन चला. शून्य से भी कम तापमान वाले करगिल जैसे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में भारतीय सेना के वीर जवानों ने अदम्य साहस और शूरवीरता का परिचय दिया था.
ऐसे ऐसे स्थानों पर जाकर उन्होंने दुश्मन को सबक सिखाया जहां चलना तो दूर सामान्य तौर पर सांस लेना तक मुश्किल है. वजह ये है कि ये उतनी ऊंचाई वाले क्षेत्र हैं जहां हवा में ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम होती है. लेकिन इस युद्ध में अपने इलाके पर फिर से अपना नियंत्रण पाने के लिए भारत को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. भारत ने करगिल के युद्ध में 500 से ज्यादा सैनिकों को गंवाया.