नेपाल की सेना के प्रशिक्षण व भर्ती इकाई के महानिदेशक और प्रमुख और मेजर जनरल निरंजन कुमार श्रेष्ठ ने भारत के सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे से कल राजधानी नई दिल्ली में मुलाकात की. इस मुलाक़ात के दौरान अधिकारियों एक दूसरे को अपनी अपनी सेना की तरफ से प्रतीक चिन्ह भी तोहफे में दिए.
मुलाकात की अहमियत :
भारतीय सेना के प्रवक्ता की तरफ से जारी बयान के मुताबिक़ इस मुलाक़ात के दौरान सेनाध्यक्ष श्री नरवणे और नेपाली सैनिक अधिकारी निरंजन कुमार श्रेष्ठ ( Director General of Military Training & Doctrine ) के बीच दोनों देशों की सेना के आपसी हित के मुद्दों पर बातचीत हुई.
यूँ तो भारत और नेपाल के बीच बरसों पुराने सैनिक रिश्ते हैं लेकिन वर्तमान में अफगानिस्तान के हालात के बाद और चीन के लगातार बढ़ते प्रभुत्व और दखल के सन्दर्भ में भारत के पड़ोसी मुल्कों से सैन्य सम्बन्धों को लेकर ऐसी मुलाकातों को अलग अहमियत से देखा जाता है.
भारत – नेपाल सैन्य संबंध :
भारत और नेपाल के बीच पुराने रिश्तों का अंदाज़ा उस परम्परा से भी लगाया जा सकता है जिसके तहत दोनों देशों की थल सेना के मुखिया एक दूसरे की अपनी सेना के सेनाध्यक्ष की उपाधि देते हैं.
भारतीय सेना में नेपाली सैनिक :
भारतीय और नेपाली सेनाओं के बीच इन खूबसूरत रिश्तों की शुरुआत भारत के सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के 1950 के नेपाल दौरे हुई थी. यही नहीं भारतीय सेना में नेपाली सैनिकों को भी भर्ती करने की परम्परा मात्र औपचारिकता ही नहीं है बल्कि वे सैनिक भारतीय सेना का अहम अंग भी होते है. रतीय थल सेना की गोरखा रेजीमेंट की सात बटालियन तो नेपाली मूल के सैनिकों की ही हैं. वर्तमान तकरीबन 3 हज़ार से ज़्यादा नेपाली सैनिक भारतीय थल सेना में हैं .