चीन से खूनी झड़प के बाद भारत ने एलएसी पर हथियार सम्बन्धी नियम बदला

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भारत-चीन सीमा पर लदाख की गलवान घाटी

भारत-चीन की लदाख सीमा पर खूनी झड़प में अपने कमान अधिकारी कर्नल समेत 20 सैनिकों के प्राण जाने की त्रासदीपूर्ण घटना के बाद अब भारतीय सेना ने वास्तविक नियन्त्रण रेखा (एलएसी) पर गोली बम चलाने का नियम बदल दिया है. इस नये नियम के मुताबिक़ आमना सामना होने की असामान्य परिस्थितियों में सैनिक गोली चला सकते हैं और इसके आदेश देने या मंजूर करने लिए फील्ड कमान्डर को छूट दे दी गई है. ताज़ा जानकारी के मुताबिक़ इस घटना में 76 और भारतीय सैनिक घायल हुए हैं.

नये नियम के मुताबिक एलएसी पर तैनात कमांडर सामरिक स्तर पर हालात से निपटने के लिए सैनिकों को स्वतंत्रतापूर्वक कार्रवाई करने की इजाज़त दे सकते हैं. इन कमांडरों को, असामान्य परिस्थितियों में, उपलब्ध तमाम संसाधनों का इस्तेमाल करने की इजाज़त दी गई है. भारत और चीन के सैनिकों के बीच इतनी भयावह हालात वाली 45 साल में होने वाली ये पहली ऐसी झड़प है. भारतीय सेना को हुए इस नुकसान की आलोचना और विशेष तौर पर हथियार होते हुए अपने कमांडिंग अधिकारी तक को न बचा पाने की सैनिकों की मजबूरी के हालात सामने आने के बाद बने दबाव के तहत सरकार को सम्भवत: यह फैसला लेना पड़ा है. इससे पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों ने हमले में असम रायफल्स के 4 जवानों की जान ली थी.

इसके 20 साल बाद 1996 और फिर 2005 में भारत चीन के बीच हुई संधियों के तहत नियम बनाया गया कि अपनी अपनी सीमा से आगे 2 किलोमीटर किसी भी देश का सैनिक ना तो दूसरे पर गोली चलायेगा और न ही विस्फोटक का इस्तेमाल करेगा. वहीँ एनडीटीवी ने भारतीय सेना के अधिकारियों के हवाले से दी खबर में कहा है कि गलवान घाटी की झड़प में जो 76 और सैनिक ज़ख्मी हुए हैं उन्हें अलग अलग किस्म की चोटें आई हैं. उनमें से किसी की भी हालत नाज़ुक नहीं है और सप्ताह भर के दौरान वो भले चंगे होकर ड्यूटी पर लौट आयेंगे. एनडीटीवी ने हताहत हुए चीनी सैनिकों की तादाद 45 बताई है. इस समाचार के मुताबिक़ चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला करने में पत्थरों पर बंधी बाड़ वाली नुकीली कांटेदार तार, कीलों वाले डंडे और लोहे के सरियों का इस्तेमाल किया था. ये झड़प पेट्रोल पॉइंट 14 के पास हुई जहां से भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों की गतिविधियों पर नज़र रखते हैं.