भारत अब उन गिने चुने देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है जो सैन्य विमान उड़ाने में बायो मिश्रित ईंधन का इस्तेमाल करने की क्षमता और तकनीक रखते हैं. सोमवार को भारतीय वायुसेना के पायलटों और इंजीनियरों ने एएन-32 सैनिक परिवहन विमान में पहली बार मिश्रित बायो जेट ईंधन का इस्तेमाल करते हुए प्रायोगिक उड़ान भरी.
यह परियोजना भारतीय वायुसेना, भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ-DRDO), डायरेक्ट्रेट जनरल एरोनॉटिकल क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीएक्यूए -DGAQA), विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (CSIR -सीएसआईआर) और भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी -IIP) का मिला-जुला प्रयास है. ये परीक्षण भारतीय वायुसेना के प्रमुख परीक्षण स्थल एएसटीई, बंगलुरु में 17 दिसंबर, 2018 को किया गया था.
वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोवा ने 27 जुलाई, 2018 को घोषणा की थी कि वायुसेना बायो जेट ईंधन को बढ़ावा देने का प्रयास करेगी. स्वदेशी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के बारे में आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए वायुसेना अध्यक्ष ने कहा था कि 26 जनवरी, 2019 को यानि गणतंत्र दिवस पर होने वाले फ्लाईपास्ट में 10 प्रतिशत बायो जेट ईंधन के साथ एएन-32 विमान उड़ाने का भारतीय वायुसेना का इरादा है.
इस परियोजना के तहत भारतीय वायुसेना ने जमीन पर बड़े पैमाने पर इंजन परीक्षण किए इसके बाद 10 प्रतिशत मिश्रित एटीएफ का इस्तेमाल करते हुए विमान का परीक्षण किया गया. इस ईंधन को छत्तीसगढ़ जैव डीजल विकास प्राधिकरण (सीबीडीए) से प्राप्त जट्रोफा तेल से बनाया गया है, जिसका बाद में सीएसआईआर-आईआईपी में प्रसंस्करण किया गया है.