हेलिकॉप्टर हादसे में प्राण गंवाने वाले भारतीय थल सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल सौरभ यादव (lt col saurabh yadav) को अरुणाचल प्रदेश स्थित तवांग में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. यहां सैनिक रस्मों के साथ पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद दिल्ली ले जाया गया. हादसे में लेफ्टिनेंट कर्नल के साथ घायल हुए एक अन्य पायलट का इलाज असम की राजधानी गुवाहाटी के अस्पताल में चल रहा है. उनकी हालत में सुधार बताया जाता है. इस बीच सेना मुख्यालय ने हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी (court of inquiry ) का आदेश दिया है. दो सितारों वाले रैंक का अधिकारी इस मामले की जांच करेगा.
इस हादसे ने एक बार फिर से भारतीय सेना (indian army) में इस्तेमाल किये जा रहे उन बरसों पुराने चीता और चेतक हेलिकॉप्टरों की हालत की तरफ ध्यान खींचा है जो आधुनिक तकनीक और ज़रूरतों के हिसाब से बूढ़े हो चुके हैं. अरसे से इनको बदले जाने की ज़रूरत पर चर्चा चल रही है. चीता हेलिकॉप्टर का इस साल में हुआ ये दूसरा ऐसा हादसा है. मार्च 2022 में उत्तरी कश्मीर के गुरेज़ सेक्टर में अग्रिम चौकी पर फंसे एक बीमार सैनिक को निकाल कर लाने के लिए जा रहा थल सेना का एक हेलिकॉप्टर क्रेश हुआ था. इसमें भी एक पायलट की जान गई थी और सहायक पायलट बुरी तरह घायल हो गया था.
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लेफ्टिनेंट कर्नल सौरभ यादव थल सेना की विमानन शाखा (एयर विंग) में तैनात थे. बुधवार की सुबह तकरीबन 10 बजे उन्होंने रूटीन उड़ान भरी थी जब तवांग के पास ही उनका चीता हेलिकॉप्टर क्रेश हो गया. उनके साथ में मेजर रैंक का एक अधिकारी सहायक पायलट था. दोनों को घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया लेकिन लेफ्टिनेंट कर्नल यादव के प्राण नहीं बच सके. थल सेना की पूर्वी कमान की तरफ से ट्वीट किए गए शोक संदेश में कहा गया हैं कि कमान अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कालिता और समस्त रैंक की तरफ से, कर्तव्य पालन के दौरान अपना सर्वोच्च न्योछावर करने वाले, लेफ्टिनेंट कर्नल सौरभ यादव के परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की जाती है.
मार्च में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट ने राज्य सभा में बताया था कि बीते पांच साल में एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर के हादसे में भारतीय सेनाओं के 42 कर्मी जान गंवा चुके हैं. हालांकि सेना में इस चीता और चेतक की जगह दूसरे हेलीकॉप्टर लाने की प्रक्रिया चल रही है जिनमें से कुछ तो 30 से 50 साल पुराने हैं. इन हेलिकॉप्टरों की तकनीकी आयु तो 2023 के अंत तक समाप्त हो जानी है. इनके मूल निर्माता फ्रांस ने पहले से ही सेना में सेवा से हटा दिया है.
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1960 और 1970 के बीच भारतीय सेनाओं में तकरीबन 400 हेलिकॉप्टर शामिल किये गए थे इनमें से तकरीबन 50 फीसदी थल सेना के काफिले में थे. बहुउद्देशीय और कठिन इलाकों में भी शानदार काम करने वाले इन हेलिकॉप्टरों ने कई बार अपनी उपलब्धियों के ज़रिये अपना लोहा मनवाया है. थल सेना के पास अब तकरीबन 180 चीता, चेतक और चीतल हेलिकॉप्टर हैं. वायुसेना के पास 120 चीता और चेतक हैं. चेतक हेलिकॉप्टर चीता का ही बेहतर संस्करण बनाया गया.
भारत ने अपनी सेनाओं के बेड़े में नए हेलिकॉप्टर लाने के लिए रूस से 2015 में करार किया था. इसके तहत दोनों देशों को संयुक्त रूप से हेलीकॉप्टर बनाने थे लेकिन अभी तक इस महत्वाकांक्षी योजना पर अमल शुरू नहीं हो सका है.