ये हैं कमांडर अभिलाष टॉमी जिन्होंने 30 हज़ार किलोमीटर की समुद्री रेस में जीती

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कमांडर अभिलाष टॉमी
जीजीआर 2022 पूरी करने के बाद कमांडर अभिलाष टॉमी

कमांडर अभिलाष टॉमी – पक्के इरादे , बहादुरी , हिम्मत , ताकत और सब्र के साथ सूझबूझ के गुण से लबरेज़ एक ऐसी शख्सियत जो शायद दुनिया में सबसे अलग है. भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी अभिलाष समुद्र में पूरी दुनिया की रेस लगाकर लौटे हैं. भले ही इस रेस में अभिलाष टॉमी दूसरे नम्बर पर रहे लेकिन जिन हालात में उन्होंने इस अधूरे अभियान को पूरा करने का साहस जुटाया था उस हालत में हम रोजमर्रा की जिंदगी के काम करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाते. बिना किसी तकनीकी मदद के 236 दिन अकेले समुद्र में नाव चलाते हुए उन्होंने ये रेस न सिर्फ पूरी की बल्कि इसमें दूसरा स्थान भी हासिल किया. समुद्र में ये 30000 नॉटिकल मील की यह रेस जीजीआर 2022 ( Golden Globe Race 2022 ) थी जिसमें उन्होंने बिना रुके लगातार 236 दिन नाव चलाई.

कमांडर अभिलाष टॉमी
कमांडर अभिलाष टॉमी

कीर्ति चक्र से सम्मानित कमांडर अभिलाष टॉमी (commander abhilash tomy) को बीते शनिवार (30 अप्रैल 2023 ) को मिली ये कामयाबी न सिर्फ सैन्य समुदाय के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए फख्र की बात है. इस कामयाबी को हासिल करने वाले अभिलाष पहले एशियाई नागरिक हैं. इस रेस को जितना अभिलाष टॉमी के व्यक्तिगत तौर पर सबसे बड़ी खुशियाँ भी इसलिए लेकर आई क्योंकि पांच साल पहले इसी अभियान पर जब वो निकले तो दुर्घटना होने के कारण रेस बीच में ही छोड़नी पड़ी थी. उनकी रीढ़ को जिस तरह का नुक्सान पहुंचा था और जिस वक्त उनको समुद्र से निकाला गया था वो हालात जिंदगी और मौत के बीच झूलने से कम नहीं थे. जीजीआर 2018 के दौरान हुई इस दुर्घटना के वक्त कमांडर अभिलाष की हालत देख कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि वे समुद्र में फिर से उतर भी पाएंगे लेकिन डॉक्टरों के इलाज और अभिलाष टॉमी के जीवट व इच्छा शक्ति ने कुदरत की उस चुनौती को भी पार कर डाला. ये सच में किसी कारनामे से कम नहीं है.

अभिलाष टॉमी के उस अभियान में 21 सितंबर 2018 को हिन्द महासागर में तूफ़ान के दौरान हुई दुर्घटना को लेकर रक्षक न्यूज़ ने लगातार कवरेज कर पाठकों तक जानकारी पहुंचाई थी. उस हादसे के वक्त कमांडर अभिलाष टॉमी रेस के 18 प्रतिभागियों में से तीसरे स्थान पर थे. 24 सितंबर को टोमी तक ऑस्ट्रेलियाई नौका ओरिसिस पहुंची थी जिसने उनको क्षतिग्रस्त नाव ‘थूरिया’ से निकाला. इसके बाद उन्हें नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

पर्यावरण पर कुप्रभाव –

इससे पहले भी दस साल के अरसे में तीन बार समुद्र में उतरे कमांडर अभिलाष टॉमी पर्यावरण परिवर्तन का समुद्र पर पड़ा बुरा असर देखकर हैरान हैं. जो कुछ उन्होंने बताया वो तो भयानक है. उड़ने वाली मछलियों (flying fish ) की कुछ विशेष प्रजातियों को उन्होंने समुद्र में ऐसी जगह पर पाया जहां वो पहले कभी नहीं जाती थी लेकिन भोजन की खोज में उन मछलियों को लंबा सफर करना पड़ रहा है. इन्हीं हालात का सामना अल्बाट्रॉस पक्षी को करना पड रहा है. कमांडर अभिलाष टॉमी को न्यूज़ीलैंड के पास सूर्य की तेज़ किरणें मिलीं जिसके कारण सन बर्न (sunburn) की समस्या का सामना करना पड़ा जबकि वो बताते है कि इस जगह पर पहले ठंड हुआ करती थी. पानी का बढ़ता तापमान उन्हें दूसरे स्थानों पर जाने को मजबूर कर रहा है. यही नहीं इस बार उन्होंने खूब चक्रवातों का होना देखा. औसतन हर हफ्ते में एक चक्रवात (cyclone) से उनका सामना हुआ.

कमांडर अभिलाष टॉमी
कमांडर अभिलाष टॉमी और दक्षिण अफ़्रीकी धाविका किरस्टेन नुशेफर.

यूं हुआ मुकाबला –

अभिलाष टॉमी ने ये रेस संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में पंजीकृत बेनत (baynat) नाम की 11 मीटर लम्बी रसलर 36 (rustler 36 ) नाव पर सवार होकर जीती. इसका रेस नंबर 71 था जोकि यूएई में 6 अमीरात के विलय के वर्ष 1971 को दर्शाता है. दुनिया भर में सबसे मुश्किल रेस ( difficult race ) में शुमार जीजीआर की ये रेस 4 सितंबर 2022 को फ्रांस में शुरू हुई थी जिसमें कुल 11 देशों से 16 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. सबसे पहले दक्षिण अफ़्रीकी धाविका किरस्टेन नुशेफर (kirsten neuschafer) लौटीं जोकि इस मुकाबले में हिस्सा लेने वाली अकेली महिला नाविक थीं. इसके बाद शनिवार को कमांडर अभिलाष टॉमी लौटे. रेस समाप्त करने वाले अन्य का इंतज़ार किया जा रहा है.

कड़े नियम और चुनौतियां –

समुद्र में दुनिया भर का चक्कर लगाते हुए अकेले नाव में रेस लगाने वाले इस रोमांचक और साहसिक जल क्रीडा प्रतिस्पर्धा के नियम और कुछ विशेषताएं इसे बेहद कठिन मुकाबला बनातीं हैं. बिना रुके नाव चलनी चाहिए. खाने पीने का महीनों का सामान सब कुछ साथ लेकर चलना है. दिशा और दूरी का अंदाजा लगाने के लिए 1968 की पुरानी तकनीक वाली कंपास और नौचालन चार्ट ही इस्तेमाल कर सकते हैं. समुद्र में सफर के दौरान आगे आने वाले मौसम के बदलाव का पता लगाने के लिए सिर्फ बैरोमीटर की ही मदद ले सकते हैं. परिवार वालों से बात करने का कोई साधन इस्तेमाल करना मना है. समुद्री रास्ते में मिलने वाले जहाजों के ज़रिये अपने परिवार तक बस अपनी कुशल क्षेम की सूचना ही बस दी जा सकती है यानि एकतरफ़ा संवाद ही संभव है. शारीरिक ताकत व क्षमता की परीक्षा लेने वाली ये रेस दरअसल जिस्म से ज्यादा मन मस्तिष्क के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. महीनों तक अपनों से दूर और बिना उससे बात किये रहना कोई आसान काम नहीं है.