घटनाओं और दुर्घटनाओं से भरे 28 महीने के सेना की सेवा के अपने आखिरी कार्यकाल के दौर के बाद जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ( general manoj mukund narvane ) आज रिटायर हो गए. 22 अप्रैल 1960 को महाराष्ट्र के पुणे में पैदा हुए एमएम नरवणे भारत के 27 वें सेनाध्यक्ष बने थे. 42 साल पहले उन्होंने भारतीय सेना की सिख लाइट इन्फेंट्री रेजीमेंट (Sikh Light Infantry Regiment) में कमीशन हासिल करने के साथ एक अधिकारी के तौर पर करियर की शुरुआत की थी. लदाख बॉर्डर पर गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ भिड़ंत, वैश्विक महामारी कोविड 19 के संक्रमण जैसी चुनौतियों के अलावा चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ (सीडीएस – CDS) जनरल बिपिन रावत की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत के बाद दी गई उनके ओहदे की कुछ जिम्मेदारियों को भी उन्होंने संभाला.
पूरी उम्मीद की जा रही थी कि वरिष्ठता को देखते हुए जनरल नरवणे को भारत के सीडीएस का ओहदा भी दिया जाएगा. ये उम्मीद कार्यकाल के उनके आखिरी दिन तक इसलिए कायम रही क्योंकि अफसरशाही में समयबद्ध तबादलों और तैनाती की कोई स्पष्ट नीति वर्तमान सरकार की नहीं है. जनरल रावत के निधन के महीनों गुजर जाने के बाद भी नए सीडीएस के नाम का ऐलान न होना तो इसकी सबसे बड़ी मिसाल है. लिहाज़ा ऐसे में कयास ये भी लगाए जा रहे थे कि सेनाध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल के बिलकुल आखरी दिन के आसपास जनरल नरवणे को सेवा विस्तार देकर सीडीएस का ओहदा सौंपा जा सकता है . इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक सरकार की तरफ से नये सीडीएस के नाम को लेकर कोई ऐलान नहीं किया गया था . कार्यकाल के अंत में द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में एक सवाल के जवाब में जनरल एम एम नरवणे ( general m m naravane ) ने कहा कि भारत की सैन्य साजो सामान के लिए यूक्रेन और रूस दोनों पर बराबर की निर्भरता है. साथ ही उन्होंने कहा कि युद्धक सामग्री का पर्याप्त स्टॉक हमारी सेनाओं के पास है.
पूर्वी लदाख सीमा पर चीन के साथ वर्ष 2020 हुई भिडंत के संदर्भ में और उसके बाद के हालात पर उनका कहना था कि चीन ने अपने सैनिकों की तादाद 8000 से बढ़ाकर 60000 कर दी थी लिहाज़ा हमने भी उसी हिसाब अपनी ताकत वहां बढ़ाई. उनका कहना था कि चीन सीमा पर पीएलए ( चीनी सेना ) से मुकाबले के लिए हमारी तैनाती और तैयारी कम नहीं है. गलवान घाटी ( galwan valley) के उस प्रकरण के कारणों के बारे में स्थिति स्पष्ट न होने की बात जनरल एमएम नरवणे ने कही जब चीनी सैनिकों के साथ हुए संघर्ष में भारत ने अपने 20 सैनिकों को गंवाया था. जनरल नरवणे का कहना था कि इस सवाल का जवाब तो हम नहीं जान सके कि आखिर ये क्यों हुआ . उनका कहना था कि चीन में कोविड 19 संक्रमण संकट ( covid 19 crisis ) के कारण बनी परिस्थितियाँ या कोई और वहां के भीतर का अथवा बाहर का दबाव हो सकता है लेकिन आज तक समझ नहीं आया.
पाकिस्तान के बारे में सवाल जवाब के दौरान उनका कहना था कि ये तो स्पष्ट है कि सीमा पर सीज़फायर का उल्लंघन दोनों के लिए ही नुकसानदेह है. जनरल नरवणे ने कहा कि सीज़फायर के बाद सीमा पर नियंत्रण रेखा (एलओसी ) में रहने वाली आबादी के जीवन में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि हम तो अमन चैन चाहते हैं. पड़ोस में स्थायित्व होगा तो उसका अच्छा असर पड़ेगा. जनरल नरवणे ने कहा कि भारत तो पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते रखने का हामी है लेकिन इसके लिए पाकिस्तान को आतंकवाद को समर्थन और जम्मू कश्मीर की तरफ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का ध्यान खींचने की हरकते बंद करनी होंगी .