नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व वाली आजाद हिन्द फ़ौज (आईएनए) के सबसे उम्रदराज़ सिपाही परमानन्द बहादुर की हालत बेहद नाज़ुक बनी हुई है. उनसे उनके गाँव में मिलने के बाद मेजर जनरल (रिटायर्ड) गगनदीप बख्शी (जीडी बख्शी) ने सरकार के उदासीन रवैये के प्रति खेद और नाराज़गी ज़ाहिर की है. जनरल बख्शी ने सिपाही परमानन्द के हवाले से कहा कि सरकार ने इस साल आज़ाद हिन्द फ़ौज के सेनानी से वह सम्मान छीन लिया जो पिछले साल गणतंत्र दिवस पर मुख्य समारोह में आमंत्रित करके दिया गया. जनरल बख्शी का कहना है इससे सिपाही परमानन्द के दिल को ठेस लगी है.
उल्लेखनीय है कि 109 वर्षीय परमानन्द की तस्वीर पिछले साल लोगों ने तब देखी थी जब उन्हें और उनके पुराने आजाद हिन्द फ़ौज के साथियों को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में बुलाया गया था. जनरल गगनदीप बख्शी का कहना है कि साल भर में ही सरकार इन सेनानियों को भुला बैठी और इस बार उनको गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता नहीं भेजा गया. तब सिपाही परमानंद समेत चार सेनानियों ने परेड में हिस्सा लिया था. मेजर जनरल गगनदीप बख्शी ने इस रवैये के लिए रक्षा मंत्रालय और उसके अधिकारियों को सोशल मीडिया पर जमकर कोसा है.
जनरल बख्शी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में बताया है कि वह जब सिपाही परमानन्द का हाल जानने के लिए उनके गाँव गये तो जब सब पता चला तो बहुत तकलीफ हुई. जनरल बख्शी का मानना है कि रक्षा मंत्रालय ने इन सेनानियों को गणतंत्र दिवस पर भुलाकर गलती की है और इसके लिए उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए. अगले साल नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125 जयंती का सन्दर्भ देते हुए जनरल बख्शी ने उम्मीद ज़ाहिर करते हुए लिखा है कि शायद तब मंत्रालय के बाबू इस सेना के भूले हुए सैनिकों को नहीं भूलेंगे.