पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष और फिर वहीँ के राष्ट्रपति बने जनरल परवेज़ मुशर्रफ की हालत नाज़ुक बनी हुई है. कुछ दिन से बीमार 78 वर्षीय परवेज़ मुशर्रफ को दुबई के ही एक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. वे वेंटिलेटर पर हैं. मीडिया के एक बड़े हिस्से ने उनके निधन की खबर प्रसारित कर दी थी. तुरंत बाद पाकिस्तान के जियो टीवी ने उनके परिवार के हवाले दी गई सूचना के आधार पर उन खबरों को गलत बताया.
परवेज़ मुशर्रफ पाकिस्तान के दसवें राष्ट्रपति थे. जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने 1999 में नवाज़ शरीफ की लोकतान्त्रिक सरकार का तख्ता पलट कर के पाकिस्तान के प्रमुख के ओहदे की बागडोर संभाली थी. परवेज़ मुशर्रफ 20 जून, 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे. उन्होंने आल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (APML) नाम के सियासी दल का गठन किया था. बाद में पार्लियामेंट में अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए उनको इस्तीफा देना पड़ा था.
परवेज़ मुशर्रफ की पैदाइश भारत की राजधानी दिल्ली के दरियागंज इलाके की है. वे यहां 11 अगस्त 1943 को पैदा हुए थे. 1947 में अंग्रेज़ी हुकूमत से मिली आज़ादी के बाद, उनका परिवार भारत के बंटवारे से बने पाकिस्तान में जाकर बस गया था. भारत और पाकिस्तान के बीच हुए करगिल युद्ध के लिए जनरल परवेज़ मुशर्रफ सीधे सीधे ज़िम्मेदार हैं. यूं तो दोनों देशों के बीच पहले दिन से ही सैन्य रिश्ते बेहद खराब रहे और कुछ कुछ साल के अंतराल पर जंग भी होती रही. 1971के युद्ध में बुरी तरह परास्त होने और फलस्वरूप बंगलादेश के गठन की खीझ उतारने के लिए पाकिस्तान भारत के खिलाफ लगातार आतंकवादी साजिशें करता रहा. चाहे पंजाब का आतंकवाद हो या जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों को बढ़ावा देना हो, पाकिस्तान यहां गड़बड़ी फैलाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता रहा.
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न मंचों से जब पाकिस्तान को कश्मीर के समर्थन में ताकत नहीं मिली तो उसने न सिर्फ भारत के कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया बल्कि अपने यहां से भी आतंवादियों की घुसपैठ कराई. ये सिलसिला तो चल ही रहा था लेकिन परवेज़ मुशर्रफ के शासन काल में तो पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ नई तरह से साजिशें की. स्थानीय मिलिशिया की आड़ में पाकिस्तान के सैनिकों ने भारत के करगिल में घुसपैठ कर उन सैनिक चौकियों पर धोखे से कब्जा कर लिया जिन्हें सर्दियों के ज़बरदस्त बर्फ़बारी वाले दिनों में एक अलिखित समझौते के तहत खाली रखने का नियम बना हुआ था. शुरू में तो पाकिस्तान मानने को तैयार ही नहीं था कि इस घुसपैठ और हमले में उसके सैनिक शामिल हैं. यहां तक कि उसने अपने सैनिकों के शव तक लेने से इनकार कर दिया था. बाद में पाकिस्तान ने इस युद्ध की असलियत कबूली. करगिल के इस युद्ध ने, दोनों देशों के रिश्तों के बीच कडवाहट कम करने की न सिर्फ उस कवायद पर पानी फेर दिया जो भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तानी नवाज़ शरीफ के राज में शुरू हुई थी बल्कि युद्ध के रूप में कभी न भरने वाली नई दरार पैदा कर दी.