भारत में सैनिक छावनी क्षेत्रों की सडकों को आम लोगों के आवागमन के लिए खोलने, पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी सालगिरह को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने पर विवादों के बाद अब रक्षा मंत्रालय सैन्य सम्पत्ति के सियासी इस्तेमाल के लिए देने के मुद्दे पर आलोचना से आ घिरा है. इस मुद्दे को, करगिल युद्ध में टांग गंवाने के बाद नकली टांग के बूते पर मैराथन धावक बने, दमदार और मशहूर मेजर डीपी सिंह ने सोशल मीडिया पर उठाया है. मामला सिकंदराबाद छावनी के बिसन पोलो ग्राउंड और परेड मैदान को, केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के कार्यक्रम के लिए कुछ दिन के लिए दिए जाने से जुड़ा है.
भारत के पहले ब्लेड रनर (Blade Runner) मेजर (रिटायर्ड) डीपी सिंह ने इस मामले पर ट्वीट करके ऐतराज़ ज़ाहिर किया है और सीधे सीधे रक्षामन्त्री निर्मला सीतारमण को घेरा है. उन्होंने रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण (@nsitharaman) को और रक्षा मंत्रालय (DefMinIndia) को टैग करते हुए, जीओसी दफ्तर से लेफ्टिनेंट कर्नल एके सिंह के दस्तखत वाले पत्र की कापी भी नत्थी (अटैच) की है जो 13 अक्टूबर 2018 को रक्षा सम्पदा अधिकारी (आन्ध्र प्रदेश सर्कल) को लिखा गया है. इसमें रक्षा मंत्रालय की तरफ से मिली मंज़ूरी के हवाले से कहा गया है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए बिसन पोलो ग्राउंड स्वीकृति की तिथि से 28 अक्टूबर तक और परेड ग्राउंड 25 से 28 अक्टूबर तक दिया जा रहा है. पत्र की कापी तेलंगाना राज्य के बीजेपी के अध्यक्ष डा. के लक्ष्मन को भी प्रेषित है.
मेजर डीपी सिंह का ट्वीट :
Here starts another degradation of #IndianArmy
Madam @nsitharaman May pls put a check.
1 side forces r being used2clean up spoiled things due2 misuse/corruption by civilians
On the other hand things kept intact are being opened 4 their use.
Jai hind really@DefenceMinIndia pic.twitter.com/d9FtKk3owB
— Major D P Singh (@MajDPSingh) October 13, 2018
मेजर डीपी सिंह ने अपने ट्वीट में इसे भारतीय सेना को नीचा दिखाने की एक अलग शुरुआत कहा है और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण से इस पर लगाम लगाने का अनुरोध किया है.
मेजर डीपी सिंह ने ये तक लिखा है कि एक तरफ सुरक्षा बलों का इस्तेमाल उन चीज़ों की सफाई में किया जा रहा है जो नागरिक प्रशासन के बेजा इस्तेमाल और भ्रष्टाचार से बरबाद कर दी गईं और दूसरी तरफ सम्भाल कर रखी गई चीजें उन्हें इस्तेमाल के लिए मुहैया कराई जा रही हैं. मेजर डीपी सिंह के इस ट्वीट का कई लोगों ने समर्थन किया है वहीँ इस पर सियासी नेताओं ने भी टिप्पणी शुरू करके राजनीतिक रंग चढ़ाना शुरू कर दिया है.
पूर्व मेजर डीपी सिंह :
करगिल युद्ध में धमाके के दौरान एक टांग गंवा चुके मेजर डीपी सिंह ने अपनी सबसे बड़ी शारीरिक खामी को न सिर्फ दूर किया बल्कि उसे अपनी ताकत भी बना लिया. युद्ध के दौरान इस धमाके में वो इतनी बुरी तरह घायल हुए थे कि शायद ही उनके जिस्म का कोई हिस्सा सलामत रहा हो. शुरू में तो उन्हें देखकर डाक्टरों ने उनके जिंदा बचने पर ही शक ज़ाहिर कर दिया था. लेकिन शारीरिक इलाज़ के बाद मेजर डीपी सिंह ने खुद को मानसिक तौर पर भी इतना मज़बूत किया कि आज वो कइयों के लिए मिसाल बन गये. नकली टांग (स्टील ब्लेड) के बूते पर दौड़ने के लिए उन्होंनें 14 साल की जद्दोजेहद की. आज 45 साल के मेजर डीपी सिंह मैराथन में कई रिकार्ड बना चुके हैं. बहुतों के लिए उनका जीवन प्रेरणास्रोत है ख़ासतौर से वो दिव्यांग जो अपनी क्षमता का उपयोग करने के प्रयास में हैं.
मेजर डीपी सिंह की लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ना सिर्फ कई जानी मानी हस्तियाँ बल्कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी भी उन्हें सोशल मीडिया पर फालो करते हैं.
गुरु गोविन्द सिंह के संत सिपाही वाले विचार से प्रेरित सिख परिवार का ये फौजी हिंदी फिल्म शोले के खलनायक गब्बर सिंह के किरदार के उस डायलाग से गज़ब का हौसला पाता है – जो डर गया, समझो मर गया.