भारत के सेनाध्यक्ष रहे जनरल (रिटायर्ड ) मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि चीन भारत का बड़ा वैरी शुरू से रहा है और निकट भविष्य में भी रहेगा. उन्होंने कहा कि खतरा तो चीन से भी सटी सीमा से है और पाकिस्तान की सटी सीमा से भी लेकिन दोनों मोर्चों पर साथ लड़ा नहीं जाता. कोई भी देश दो मोर्चे एक साथ नहीं खोलता. हमेशा एक मोर्चे को शांत रखा जाता है और इसी में कूटनीति काम करती है .
पूर्व सेनाध्यक्ष नरवणे ने यह बातें आज ( 28 जुलाई 2023) नई दिल्ली में ‘ राष्ट्रीय सुरक्षा के परिपेक्ष्य ‘चर्चा के दौरान पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहीं . चर्चा का आयोजन इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने मिलकर किया था.
चीन पर दुश्मन नम्बर 1 :
सेवानिवृत्त जनरल नरवणे का कहना है चीन तो हमेशा से ही भारत का वैरी रहा है. एक बार तो तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने कहा भी था कि ” चीन हमारा दुश्मन नम्बर एक ‘ है. जनरल नरवणे ने कहा कि भारत चीन के मामले में तीन साल पहले गलवान (galwan) और डोकलाम ( doklam) की घटनाओं से पहले तक मौन रहा.
चीन की सैनिकों की तरफ से जब गलवान में संघर्ष शुरू किया गया था तब यह भी कहा गया था कि इसके पीछे बॉर्डर पर तैनात स्थानीय अधिकारी हैं ..! क्या ये चीनी सेना पीएलए के वरिष्ठ अधिकारियों और रजनीतिक नेतृत्व के शामिल हुए बिना संभव हो सकता हो ? आपको इसके पीछे क्या कारण पता चला ? इस पर पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि इसका कारण तो हम भी नहीं खोज सके. यह एक तरह का दुस्साहस था और उनका वापस लौटना इसका सबूत है . जनरल नरवणे ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विभाजन भी इसके पीछे एक संभावित कारण हो सकता है .
पाकिस्तान पर बात :
पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर ( पीओके – POK ) में कार्रवाई करने और उस हिस्से को शामिल करने से संबंधित बातें सामने के बारे में पूछने पर पूर्व सेनाध्यक्ष नरवणे का कहना था कि इसमें कुछ नया नहीं है . इस पर तो नब्बे के दशक में भारतीय संसद में प्रस्ताव भी पास हो चुका है. नरवणे बोले , ” बयानबाज़ी करने में क्या नुकसान है, दुश्मन को अंदाजा लगाने में व्यस्त रखें .” साथ ही जनरल नरवणे ने यह भी कहा कि एक साथ दो जगह से खतरा ज़रूर है लेकिन एक साथ दो मोर्चों पर युद्ध नहीं लड़ा जाता . इसी स्थिति में कूटनीति ( diplomacy) को अपनी भूमिका निभानी होती है ताकि एक मोर्चे पर युद्ध करते वक्त दूसरे फ्रंट को शांत रखा जा सके .
अग्निपथ योजना पर बोले नरवणे :
भारतीय सेनाओं में सैनिक भर्ती के लिए शुरू की गई अग्निपथ योजना ( agnipath scheme) में बदलाव और योजना के नतीजे के बारे पूर्व सेनाध्यक्ष नरवणे का कहना था कि अग्निपथ योजना तमाम पहलुओं पर सोच विचार कर लागू की गई है. इसका मकसद तो सेना का युवा रखना है जोकि ज़रूरी है. यह पूछने पर कि योजना शुरू करते वक्त ऐलान किया गया था कि भर्ती युवकों में से 25 प्रतिशत को स्थाई सेवा दी जाएगी लेकिन बाद में इसे बदलकर 50 % किया गया.. .? इस पर जनरल नरवणे का कहना था कि योजना में ज़रूरत के मुताबिक़ बदलाव किये गए हैं. हो सकता है भविष्य कभी इसमें भी बदलाव हो और यह प्रतिशत बढ़ाना पड़े. जंग छिड़ जाने की हालत हो तो सभी शायद भर्ती सैनिकों को स्थाई कर दिया जाए. जनरल नरवणे का कहना हैं कि योजना सही है या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा. उन्होंने माना कि इस योजना के प्रावधानों को लागू करने के पीछे आर्थिक पक्ष भी एक कारण है.
भारतीय सेना की गोरखा राइफल्स ( gorkha rifles ) में बड़ी तादाद में नेपाल मूल के गोरखा भर्ती होते हैं लेकिन अग्निपथ योजना में सबको स्थाई पेंशन देने का प्रावधान नहीं किया गया. इस पर नेपाल ने भारतीय सेना को अपने यहां आकर अग्निपथ योजना के तहत सैनिक भर्ती करने से मना कर दिया है ऐसे में सेना की इया गोरखा यूनिट के भविष्य पर पूछे गए सवाल पर पूर्व सेनाध्यक्ष नरवणे का कहना है कि जब हम इस योजना में भर्ती होने वाले सभी भारतीय सैनिकों को पेंशन नहीं दे सकते तो नेपाली सैनिकों के लिए यह प्रावधान कैसे हो सकता है . जनरल नरवणे ने कहा कि सेना वैसे गोरखा राइफल्स के लिए भारत के पहाड़ी क्षेत्रो में भर्ती करती है .
भारतीय सेना में महिलाएं :
भारतीय सेना में महिलाओं ( women in army ) की भर्ती पर उनका कहना था कि सेना में विभिन्न शाखाओं जैसे मेडिकल कोर आदि में महिलाएं शुरू से रही हैं और अब तो तीन शाखाओं को छोड़ सेना की सभी शाखाओं में महिलाएं है . यहां तक कि आर्टिलरी (तोपखाना ) में भी महिलाएं काम कर रही हैं . जनरल नरवणे का कहना है कि सेना के काम में तकनीकी में बदलाव और इसके इस्तेमाल ने भी महिलाओं के लिए सेना में में काम को मुमकिन बनाया है . तोप में गोला बारूद लगाने के काम की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि पहले ये गोले बहुत वजनी हुआ करते थे. उन्हें लगाना अकेले सैनिक के बस का भी नहीं होता था लेकिन अब तकनीक के कारण उसके प्रकार और लगाने के तरीके में बदलाव आया है. अब यह काम महिलाएं भी कर पा रही हैं .
उन्होंने मजाकिया तरीके से जब यह कहा कि जहां तक महिला अधिकारी से निर्देश लेने की बात है तो क्या हम सब यह काम घर पर नहीं करते . जब यह बात पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे कह रहे थे तब उनकी पत्नी भी मुस्करा रहीं थीं जो उनके बगल में बैठीं थीं .
सीडीएस की तैनाती पर :
जनरल नरवणे भारत के 28 चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ थे और भारत के पहले चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ (सीडीएस – cds ) की हवाई दुर्घटना में मृत्यु के बाद जनरल नरवणे चीफ्स ऑफ़ स्टाफ कमेटी के चेयरमेन के तौर एक तरह से सीडीएस की ज़िम्मेदारी भी अपने रिटायर्मेंट की तारीख 15 दिसंबर 2022 तक निभाते रहे. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि जनरल नरवणे को ही सीडीएस नियुक्त ( appointment of cds) किया जाएगा. लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं करके सितंबर 2022 में उन 61 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को सीडीएस बनाया जो मई 2021 में रिटायर हो चुके थे .
सीडीएस न बनाए जाने के गंभीर सवाल को पूर्व सेनाध्यक्ष नरवणे का जवाब था , ” जब सरकार ने मुझे चीफ बनाया मैंने तब इस पर सवाल नहीं किया कि मुझे क्यों बनाया गया तो अब सीडीएस न बनाने पर सरकार से क्यों पूछूं ?”
सीमाओं पर सुरक्षा :
पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि सीमान्त इलाकों में स्थायित्व की कमी का सुरक्षा पर असर तो पड़ता ही है और ड्रग्स व अन्य किस्म के सामान की तस्करी करने वाले भी इसका फायदा उठाते हैं . उन्होंने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया मणिपुर में कई दिन से बिगड़े हालात ( manipur disturbance ) में ऐसे लोगों की भी भूमिका हो सकती है . या इसमें विदेशी हाथ भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि म्यांमार से सटा होने के कारण भी यह इलाका नशे के गोल्डन ट्रायंगल (golden triangle) के करीब है .