फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह असल में एक सैनिक और धावक से भी बड़ी शख्सियत बने हुए थे जिसका अहसास तब फिर हुआ जब शनिवार की शाम चंड़ीगढ़ के सेक्टर 25 स्थित शवदाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ वो पंचतत्व में विलीन किये गये तब देश में हजारों ऐसे लोगों की आँखें उनकी याद में नम थीं जिनसे मिल्खा का न खून का रिश्ता था न रोज़ का मिलना जुलना था.
देश के बंटवारे के समय 1947 की हिंसा में अपना परिवार गंवाने वाले इस फौजी के जाने के बाद जिस तरह से पूरे भारत में पद्मश्री मिल्खा सिंह को याद किया जा रहा है उससे तो लगता है कि दूर रहते हुए भी लाखों लोगों के दिलों में बसते थे और प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए थे. लखनऊ के प्रतिष्ठित एक्सीलिया स्कूल में प्रबंधन और कर्मचारियों का उनके प्रति श्रद्धा भाव इसकी एक और मिसाल हैं जहां इस ओलंपियन के पैरों की छाप को बेहद जतन से रखा गया है.
यहाँ 16 दिसम्बर 2018 को एक्सीलिया स्कूल के वार्षिक समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आये मिल्खा सिंह के पैरों की छाप ली गई थी जिसे एक ऐसे बेशकीमती खजाने की तरह संभालकर रखा गया जो पूजनीय हो. शनिवार को स्कूल में उड़न सिख मिल्खा सिंह को याद करने के लिए जब श्रद्धांजलि सभा की गई तो फ्रेम में लगी पैरों की वो छाप भी मिल्खा की फोटो के साथ थी.
पुष्पांजलि अर्पित करते वक्त एक्सीलिया स्कूल के निदेशक आशीष पाठक, शालिनी पाठक और प्रिंसिपल सोनिया वर्धन के सामने उस दिन की यादें एक फिल्म की तरह जएहन में घूम रही थीं. उस रोज़ मिल्खा सिंह ने स्कूल में अपने नाम पर बनाये गये एथलेटिक ट्रैक का उद्घाटन भी किया था. इस समारोह के दौरान अपने अभिभाषण में मिल्खा सिंह ने जो कहा था वो शब्द सबको याद आ रहे थे – हम हमेशा इस दुनिया में नहीं रहेंगे. हमें ऐसा कुछ करना चाहिए जो हमेशा रहे.
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की याद में दो मिनट का मौन रखा गया. साथ ही मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी के निधन से परिवार को हुई व्यक्तिगत क्षति को सहने के लिए प्रार्थना की गई. स्कूल के महाप्रबंधक शेखर वार्ष्णेय और वरिष्ठ पत्रकार और स्कूल सलाहकार प्रवीण पाण्डेय के अलावा स्कूल स्टाफ भी यहाँ उपस्थित था.