आपके घर या दफ्तर में पानी के कनेक्शन में दिक्कत आ गई है, बिजली का कोई फाल्ट आ गया है और इस शिकायत को दुरुस्त करने के लिए फ़ौरन आपके घर भारतीय सेना का पूर्व सैनिक पहुँच जाए तो हैरान न होइगा. क्यूंकि ऐसा हो सकता है चंडीगढ़, मोहाली और इसके आसपास रहने वाले लोगों के साथ. बरसों तक वर्दी में सेवा करने के बाद भी शारीरिक रूप से सक्षम पूर्व सैनिकों की तरक्की और देश सेवा में भागीदारी सुनिश्चित करने वाला पंजाब पूर्व सैनिक निगम (punjab ex servicemen corporation) यानि पेस्को (pesco) ऐसे ही एक प्लान पर काम कर रहा है.
पूर्व सैनिकों को न सिर्फ रोजगार देने के मामले में बल्कि धनलाभ का भी एक अच्छा स्रोत बन गये पेस्को के चेयरमेन ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) इन्दरजीत सिंह गाखल ने शहरवासियों की सेवा और पूर्व सैनिकों के पुनर्वास व रोज़गार और संभावना वाली इस योजना का खुलासा रक्षक न्यूज़ डॉट इन को एक खास मुलाकात में किया. इंजो गाखल के तौर पर भारतीय सेना और अपने परिचितों में लोकप्रिय ब्रिगेडियर इंदरजीत सिंह गाखल ने उम्मीद ज़ाहिर की है अर्बन क्लैप (urban clap) स्टाइल वाली इस योजना पर काम तो पहले ही शुरू हो गया था लेकिन 2019 में कोरोना वायरस संक्रमण के वैश्विक महामारी बनने के हालात ने इस योजना पर काम करने की इजाज़त नहीं दी. अब इस योजना को अमली जामा पहनाने की तैयारी चल रही है.
पेस्को की इस योजना के तहत केन्द्रशासित क्षेत्र राजधानी चंडीगढ़ में शुरू में ऐसी चार वैन तैयार की जायेंगी जिनमें इलेक्ट्रीशियन, प्लम्बर, कारपेंटर आदि तैनात होंगे जो बिजली, पानी, लकड़ी आदि के काम को करने में एक्सपर्ट होंगे. इनके पास हर तरह के औज़ार और साज़ो सामान होगा. फोन कॉल करने पर ये ट्रेंड कर्मचारी उस स्थान पर पहुँच कर मरम्मत आदि का काम करेंगे और इसके बदले में मेहनताने के तौर पर वाजिब शुल्क लिया जाएगा. सामान के पैसे ग्राहक को अलग से देने होंगे या वो अपना सामान लाकर भी उनसे फिट करवा सकता है. ये एक्सपर्ट वे पूर्व सैनिक होंगे जो सेना की विभिन्न यूनिटों में सेवा के दौरान इस तरह के काम करते रहे हैं. वहीं शहरी ज़रूरतों के हिसाब से उन्हें और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. पूर्व सैनिकों की इस टीम से काम कराने में वाजिब दाम में क्वालिटी का काम जैसी संतुष्टि तो लोगों को मिलेगी ही, साथ ही ग्राहक को अपने घर परिवार की सुरक्षा से समझौते का डर या कोई आशंका नहीं रहेगी.
ब्रिगेडियर इंजो गाखल ने बताया कि पेस्को में सेवा में रखे जाते वक्त दो बातों का मूल रूप से ख्याल रखा जाता है कि सेना में सेवा के दौरान उस कार्मिक के खिलाफ अनुशासनहीनता या पूर्व में खतरनाक व्यवहार वाला मामला न रहा हो और दूसरा वह शारीरिक रूप से सशक्त हो. पेस्को में भर्ती करते समय ऐसे हरेक पूर्व सैनिक की सर्विस रिकॉर्ड बुक ली जाती है जिसमें उसके करियर के बारे में सभी अहम जानकारियां होती हैं. 1970 के दशक में 700 पूर्व सैनिकों के पुनर्वास से शुरू हुए पंजाब पूर्व सैनिक निगम में अब कर्मचारियों की संख्या 11500 तक पहुँच गई है. ये देश का पहला पूर्व सैनिक निगम है और इसकी स्थापना पंजाब विधान सभा में पारित प्रस्ताव के आधार पर की गई थी. इसके कर्मचारियों को वेतन, भत्ते, बोनस, प्रोविडेंट फंड, बोनस, आदि तमाम सुविधाएँ दी जाती हैं.
पंजाब में ज़्यादातर सरकारी संस्थानों में सुरक्षा के बन्दोबस्त संभालने वाला पेस्को राज्य के सभी बिजली उत्पादन केन्द्रों और बिजली घरों की सुरक्षा का ज़िम्मा भी लिए हुए है. ब्रिगेडियर गाखल बताते हैं कि पंजाब में तकरीबन 10 लाख पूर्व सैनिक हैं और हमारी कोशिश होती है कि उनके लिए रोज़गार के नये तौर तरीके खोजते रहें. वे कहते हैं, ” जब हमें पता चला कि मिडल ईस्ट (middle east) देशों में जेसीबी चलाने वाले ड्राइवरों की ज़रूरत है तो हमने उसके लिए पूर्व सैनिकों को ट्रेंड करके वहां भेजा”. इसी तरह आर्मी मेडिकल कोर में काम कर चुके लैब सहायक, तकनीशियन, एक्स रे मशीन चलाने वाले और सिग्नल कोर में काम कर चुके संचार माध्यमों के जानकारों की सेवाएँ पेस्को विभिन्न ग्राहक संस्थानों को उपलब्ध कराता है. इसके एवज में पेस्को सर्विस चार्ज लेता है जो उसकी आमदनी स्त्रोत है.
सिर्फ आर्मी, नेवी या एयर फ़ोर्स के पूर्व सैनिक ही नहीं, अर्ध सैनिक बल जैसे बीएसएफ, सीआरपीएफ या अन्य किसी पुलिस संगठन में काम कर चुके जवान भी पंजाब पूर्व सैनिक निगम के कर्मचारी हो सकते हैं. आमतौर पर सेना में 35 से 45 साल की उम्र में लोग रिटायर हो जाते हैं. इनमें से हुनर मंद होते हैं और शारीरिक रूप से सशक्त भी. ऐसे में उम्र के अगले पड़ाव में ज़्यादातर पूर्व सैनिक काम या नागरिक जीवन में नये करियर की तलाश में रहते हैं. थल सेना में तो ज़्यादातर अधिकारी कर्नल रैंक पर आकर रिटायर हो जाते हैं. खुद पेस्को के प्रबन्धन में ही 100 से ज्यादा कार्मिक हैं जो पंजाब के विभिन्न ज़िलों में खुले दफ्तरों का बन्दोबस्त देखते हैं. इनमें 16 फील्ड ऑफिसर हैं जो आमतौर पर लेफ्टिनेंट कर्नल या कर्नल के रैंक से सेवानिवृत्त हुए होते हैं. यहाँ अधिकारियों को डीजीएम और जीएम के ओहदे दिए जाते हैं.
पेस्को व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र (vocational training centre) भी चलाता है जहां पूर्व सैनिकों और सैनिकों के बच्चों को विभिन्न कोर्स कराए जाते हैं जिनसे बहुत कम फीस ली जाती है. वैसे इस केंद्र के दरवाज़े साधारण गैर सैनिक परिवारों के बच्चों के लिए भी खुले हैं. ब्रिगेडियर गाखल कहते हैं, “सेना की सेवा के दौरान अलग अलग जगह तैनाती के कारण ऐसे बहुत से परिवारों के बच्चों की पढ़ाई और करियर पर असर पढ़ता है. ऐसे में ये व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र उन बच्चों के लिए करियर चुनने में मदद करने का ज़रिया बनता है”. ये भी कम ही लोग जानते है कि ऐसे केंद्र को चलाने के लिए धन मुहैया कराने के अलावा पेस्को मोहाली स्थित महाराजा रणजीत सिंह अकेडमी (Maharaja Ranjit Singh Armed Forces Preparatory Institute – AFPI) में सैनिक अधिकारी बनने प्रशिक्षण लेने के इच्छुक पूर्व सैनिकों के बच्चों और शहीद सैनिकों के आश्रित बच्चों को स्कॉलरशिप भी देता है.