भारत के रक्षा अनुसन्धान एवम् विकास संगठन (DRDO) की विकसित की गई टैंक निरोधक गाइडेड मिसाइल नाग का सेना में इस्तेमाल के लिए आज किया गया अंतिम परीक्षण कामयाब रहा. एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM ) नाग (NAG) का ये परीक्षण पाकिस्तान से सटे राज्य राजस्थान में पोखरण रेंज में किया गया. नाग मिसाइल का निशाना सटीक रहा और इसने टारगेट को ध्वस्त कर डाला.
एटीजीएम नाग को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा दिन और रात की स्थितियों में अत्यधिक सुदृढ़ दुश्मन टैंकों को निशाना बनाने के लिए विकसित किया है. यह मिसाइल, समग्र और प्रतिक्रियाशील कवच से लैस सभी एमबीटी को नष्टत करने के लिए एक पैसिव होमिंग गाइडेंस उपकरण के साथ-साथ ‘मारो और भूल जाओ’ तथा ‘उच्चउ हमले’ की क्षमताओं से लैस है.
नाग प्रक्षेपास्त्रर वाहक एनएएमआईसीए एक बीएमपी-II आधारित प्रणाली है जिसमें पानी और जमीन दोनों पर चलने की क्षमता है. आज के अंतिम प्रयोक्ताह परीक्षण के बाद, अब नाग उत्पादन के चरण में प्रवेश करेगा. एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई जानकारी के मुताबिक़ नाग को रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) बनाएगा, जबकि मेडक स्थित आयुध निर्माणी एनएएमआईसीए का उत्पादन करेगी.
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ – DRDO) और भारतीय सेना को नाग प्रक्षेपास्त्रं के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी. डीडीआर एंड डी के सचिव और डीआरडीओ के अध्य क्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने प्रक्षेपास्त्री को उत्पादन चरण तक लाने में डीआरडीओ, भारतीय सेना और उद्योग के प्रयासों की सराहना की.
तीसरी पीढ़ी की ये एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल युद्धक सामग्री से लैस थी जो आज सुबह 6.45 बजे पोखरण में दागी गई. इससे पहले डीआरडीओ ने 7 सितम्बर को हाइपरसोनिक टेक्नोलोजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) का सफल परीक्षण किया था.
यही नहीं, सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के लम्बी दूरी वाले संस्करण का भी परीक्षण किया गया था. वहीं इन्हीं दिनों भारत ने सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु क्षमता युक्त बैलिस्टिक मिसाइल शौर्य का भी परीक्षण किया.
परीक्षण की इसी कड़ी में, हवा से ज़मीन पर मार करने वाली विकिरणरोधी मिसाइल रुद्रम का भी परीक्षण किया गया था.
सामरिक महत्व के अत्याधुनिक अस्त्र शस्त्रों के इस तरह के कतारबद्ध परीक्षण को, भारत-चीन तनाव में, क्षमता व शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है.