भारत और रूस के साझा प्रयासों से विकसित और निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल का उत्पादन अब उस शहर लखनऊ में भी होगा जो नज़ाकत-नफासत के लिए मशहूर है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हरौनी गांव की जमीन पर ब्रह्मोस विनिर्माण केंद्र बनाया जाना है. ये जगह हवाई अड्डे के पास है. इसके अलावा लखनऊ में ही रक्षा प्रौद्योगिकी और परीक्षण केंद्र भी बनाया जाएगा. उम्मीद है कि यहां 2 – 3 साल में केंद्र की स्थापना हो जाएगी. फिलहाल इसका उद्घाटन हो गया है.
लखनऊ में रक्षा औद्योगिक गलियारे (डिफेंस कॉरिडोर Defence Corridor) और एयरोस्पेस विनिर्माण समूहों के विकास में तेजी लाने के लिए भारत के रक्षा अनुसन्धान विकास संगठन यानि डीआरडीओ एक पहल के तहत अपनी तरह का पहला रक्षा प्रौद्योगिकी और परीक्षण केंद्र (डीटीटीसी) स्थापित कर रहा है. माना जा रहा है कि दोनों परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर इन जगहों पर रोज़गार के काफी मौके सृजित होंगे वहीं शहर में भी बदलाव आएगा.
हरौनी गांव में तकरीबन 200 एकड़ ज़मीन नई पीढ़ी के ब्रह्मोस मिसाइल के संस्करण के उत्पादन केंद्र के लिए ली गई है. यहां हरेक साल 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइल बनाई जा सकेंगी. यूपी सरकार ने डीआरडीओ को ये ज़मीन मुफ्त दी है.
लखनऊ में तकरीबन 22 एकड़ जमीन पर रक्षा प्रौद्योगिकी और परीक्षण केंद्र (डीटीटीसी) बनाया जाएगा. यह केंद्र अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की स्थापना के लिए उद्योगों को सुविधा देगा. यह अनूठा संस्थान डीआरडीओ के आईपीआर, पेटेंट और टीओटी को समझने के लिए सेतु का काम करेगा. उम्मीद की जा रही है कि इससे रक्षा कारोबार का सरलीकरण भी होगा. यहां डीप टेक इनोवेशन एंड स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर, डिजाइन और सिमुलेशन केंद्र, परीक्षण और मूल्यांकन केंद्र, उद्योग केंद्र, डिजिटल विनिर्माण, कौशल विकास केंद्र और व्यवसाय विकास केंद्र होंगे बनाए जाएंगे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को इन परियोजनाओं का शिलान्यास किया. राजनाथ सिंह ने बताया कि यहां रक्षा गलियारा बनाने में 1400 करोड़ का निवेश हो चुका है. उन्होंने इन परियोजनाओं को राज्य के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद बताया.