लॉक डाउन खुलने के बाद हफ्ते में 2 नहीं, सिर्फ 1 छुट्टी देने की तैयारी

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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान समीक्षा बैठक.

वैश्विक महामारी नोवेल कोरोना वायरस (कोविड 19) के खिलाफ जंग में रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक इकाइयों ने अब तक किये अपने काम का ब्योरा, कल भारत के रक्षा मंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान समीक्षा बैठक में रखा. रक्षा उत्पाद बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों (डीपीएसयू) ने अपने सभी कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटकर जमा किया 77 करोड़ रुपया, कोविड 19 संकट से जूझने के लिए बनाये गये कोष, पीएम केयर्स में दिया है. लॉक डाउन खुलने के बाद इन इकाइयों में दो दिन की जगह एक दिन का साप्ताहिक अवकाश होगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीपीएसयू और आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के सहयोग तथा उनकी परिचालन योजनाओं की समीक्षा की.

श्री सिंह ने कोविड-19 से लड़ने के लिए इन इकाइयों में साजो सामान बनाये जाने में दिखाए गये नये हुनर और स्थानीय प्रशासन को कई तरीकों से की गई मदद की तारीफ की. उन्होंने इन इकाइयों को लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर से काम शुरु करने के लिए जरुरी योजना तैयार करने को कहा है ताकि लॉकडाउन की वजह से हुए काम के नुकसान की भरपाई की जा सके और उत्पादन शुरु किया जा सके. राजनाथ सिंह का कहना था कि रक्षा क्षेत्र के निजी उद्योगों के साथ-साथ डीपीएसयू आर्थिक पुनरुद्धार में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं.

रक्षा मंत्री ने रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग, ओएफबी और डीपीएसयू की तरफ से पीएम केयर्स कोष में 77 करोड़ रूपए दान दिए जाने की सराहना की. यह रकम कर्मचारियों के एक दिन के वेतन और कंपनियों के सीएसआईआर फंड से जुटाई गई. ऐसा अप्रैल के महीने के वेतन से भी हो सकता है.

कॉन्फ्रेंस के दौरान, बोर्ड ने बताया कि उसके 41 विनिर्माण स्थानों में से किसी में भी कोविड 19 पॉजिटिव का मामला सामने नहीं आया है. बोर्ड की तरफ से बताया गया कि कोविड के खिलाफ लड़ाई में उसकी ओर से 100 से ज़्यादा वेंटिलेटरों की मरम्मत की गई. इसके अलावा 12,800 कवरआल सूट का उत्पादन, पीपीई के परीक्षण के लिए स्थानिक मशीनों का विकास, स्थानीय अधिकारियों को 6.35 लाख मास्क की आपूर्ति, कोविड रोगियों के लिए अरुणाचल प्रदेश को 340 विशेष टेंटों की सप्लाई और एक लाख लीटर हैंड सैनिटाइजर दिए गए हैं. बोर्ड ने 10 जगह अपने अस्पतालों में 280 आइसोलेशन बेड लगाए हैं. इनके अलावा एचएएल ने कोविड रोगियों के लिए बेंगलुरु में 93 आइसोलेशन बेड का बन्दोबस्त किया है.

रक्षा मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने मई 2020 में 12,000 वेंटिलेटर और जून में और 18,000 वेंटिलेटर बनाने का इंतज़ाम किया है. इन वेंटिलेटर को चलाने में मेडीकल प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग देने में तकरीबन 3000 इंजीनियर हिस्सा लेंगे.

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने 300 एयरोसोल कैबिनेट बनाये हैं और उन्हें अलग अलग अस्पतालों में भेजा है. इसने 56,000 मास्क बांटे हैं और प्रवासी मजदूरों को सहायता दी है. इसके अलावा कंपनी ने कोविड रोगियों के लिए बेंगलुरु में 93 आइसोलेशन बिस्तरों का इंतज़ाम किया है. भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) भी वेंटिलेटर के लिए डिजाइन को अंतिम रूप देने और इसका प्रोटोटाइप बनाने के लिए जाने माने वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहा है.

मझगावं डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने मुंबई के नौसेनिक क्वारंटाइन केन्द्र को पाँच लाख रुपये की पीपीई और दवाइयाँ दी हैं और 4,000 लीटर सैनिटाइज़र बांटा है.

प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ बैठक में बताया गया कि नॉन रेड जोन में स्थित ओएफबी और डीपीएसयू की कई इकाइयां पहले से ही काम शुरू कर चुकी हैं. लगभग सभी डीपीएसयू ने लॉकडाउन हटने के बाद उत्पादन में तेजी लाने के लिए तीन शिफ्टों में काम करने और सप्ताह में पांच दिनों की जगह छह दिन काम करने की योजना बनाई है. सभी इकाइयों में सामाजिक दूरी बनाए रखने तथा स्वास्थ्य संबधी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए काम किया जाएगा.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि वीडियो कॉन्फ्रेंस में रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव राज कुमार, विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी, ओएफबी, बीईएल, एचएएल, एमडीएल, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, मिधानी मिश्रधातु निगम लिमिटेड और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के कई वरिष्ठ अफसरों ने हिस्सा लिया.