नौसेना की तरफ से चार दिन पहले जारी उस आदेश की पूर्व सैनिकों के एक तबके की तरफ से आलोचना की जा रही है जिसमें कहा गया है कि नौसैनिक अब हाथों में छड़ी नहीं थामेंगे. सार्वजनिक जानकारी के लिए जारी किए गए इस नोटिस में कहा गया है कि हाथ में छड़ी (baton ) थामकर शक्ति या प्राधिकार ज़ाहिर करना औपनिवेशिक परम्परा है जिसकी ‘अमृत काल ‘ में ‘ जगह नहीं है .
28 जुलाई 2023 को जारी इस आदेश में कहा गया है कि प्रोवोस्ट कार्मिकों ( provost personnel ) समेत तमाम कार्मिकों के बेटन लेकर चलने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाती है . इसके स्थान पर अब प्रत्येक इकाई में संगठन प्रमुख के दफ्तर में यह छड़ी सलीके से रखी जा सकती है . बेटन का आदान प्रदान अब सिर्फ दफ्तर में होगा और वो भी सिर्फ कमान अधिकारी के बदलने पर किया जाएगा . सभी संबंधित को संबोधित पत्र के रूप में यह नोटिस रक्षा मंत्रालय के अधीन एकीकृत मुख्यालय ( integrated command ) के कार्मिक सेवा निदेशालय से जारी हुआ है . इस पर नौसेना के अधिकारी गौरव मेहता के दस्तखत है .
नौसैनिकों के हाथ से छड़ी छुड़ाने से संबंधित आदेश बहुत से पूर्व सैनिकों को पसंद नहीं आया है . इसे लेकर कइयों ने तीखी टिप्पणियां की हैं तो कुछ ने आदेश का मज़ाक भी उड़ाया है . कइयों ने इसके पीछे एक एजेंडा छिपे होने का शक ज़ाहिर किया है .
इनमें से कुछ का कहना है कि सेना से जुड़े दस्तावेज़ या आदेश में ‘ अमृत काल ‘ (amritkal) जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए . इसके पीछे राजनीतिक लाभ लेने और एक ख़ास तरह की विचारधारा थोपे जाने का इशारा मिल रहा है . एक प्रतिक्रिया में तो इस आदेश की भाषा और तथ्य संबंधी त्रुटियों का ज़िक्र करते आदेश पत्र के ही फर्जी होंने की बात कही गई.
भारतीय नौसेना के दस्तावेज़ में संगठन का नाम हमेशा इंडियन नेवी ( indian navy ) लिखा जाता है. भारतीय नौसेना की आधिकारिक वेब साइट में भी इंडियन नेवी लिखा है . लेकिन इस आदेश पत्र में नेवी से पहले लगाए जाने वाला शब्द ‘ इंडियन ‘ ( indian ) गायब है. यह गलती है या जानबूझकर किया गया है ..? दरअसल कुछ लोग इसके ज़रिये भारत में सत्तारूढ़ दल की उस सोच का इशारा कर रहे हैं जो प्रतिद्वंदी विपक्षी दलों के साझा मोर्चा के I.N.D.I.A.N.( इंडियन ) नाम का फायदा उठाने की संभावनाओं को कम करने में लगा है . कुछ ने इसके पीछे सहमति देने के लिए सैन्य नेतृत्व की आलोचना की है .
भारतीय नौसेना के निशान व ध्वज में बदलाव :
इससे पहले बीते साल ( 2022 में ) भारतीय नौसेना के ध्वज में बने निशान में परिवर्तन किया गया था. उससे पहले भी 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान नौसेना के ध्वज में दो बार परिवर्तन किया गया . औपनिवेशिक विरासत को ढोने की मानसिकता का हवाला देते हुए 2001 में भारतीय नौसेना के ध्वज से सेंट जॉर्ज क्रॉस के निशान को हटा दिया गया था लेकिन तीन साल के भीतर ही वर्ष 2004 में एक बार फिर से इस चिह्न (कुछ बदलावों के साथ) को वापस इंडियन नेवी के ध्वज में जोड़ दिया गया. 2001 में इस चिह्न को नौसेना के ध्वज से हटाए जाने और वापस 2004 में जब इसे फिर से नौसेना के ध्वज में जोड़े जाने के समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ही थे. भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अप्रैल 2004 में कोच्चि में नए प्रतीक चिह्न का अनावरण किया था.