भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ( cds general anil chauhan ) ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति परिवर्तनशील है और राष्ट्रीय रणनीति का लक्ष्य बदलावों को इस तरीके से आत्मसात करना होना चाहिए जिससे चुनौतियों का सामना किया जा सके और अवसरों से लाभ लिया सके . मौका था नई दिल्ली में शुक्रवार ( 14 जुलाई, 2023 ) को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन ( डीआरडीओ ) के वार्षिक कार्यक्रम ‘ डीआरडीओ निदेशक सम्मेलन ‘ का. मानेकशा केंद्र में चल रहे इस सम्मेलन का उद्घाटन जनरल चौहान ने किया . उन्होंने कहा कि उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रदर्शन, सुधार, परिवर्तन, जानकारी और अनुरूपता की आवश्यकता है .
“युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी से उभरती प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं” (technology requirements emerging from theaterisation) का ज़िक्र करते हुए सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि प्रौद्योगिकी और रणनीति में श्रेष्ठता समय की मांग है और भारतीय सशस्त्र बल नई प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रहे हैं. संयुक्तता, एकीकरण और युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी के सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए जनरल अनिल चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी की अवधारणा एक मौलिक परिवर्तन है, जो शुरू की जाने वाली है.
जनरल अनिल चौहान ने कहा, “यह आज़ादी के बाद किए गए दूरगामी प्रभावों वाले सबसे महत्वाकांक्षी बदलाव में से एक है. संयुक्तता और एकीकरण की दिशा में उठाए जाने वाले सही कदमों पर, इस यात्रा की शुरुआत निर्भर करती है. युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी में संघर्ष के पूरे परिदृश्य पर प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए तीनों सेवाओं वाले युद्धक्षेत्र विशिष्ट संरचनाओं का निर्माण शामिल है.”
सीडीएस चौहान ने कहा, भौतिक डोमेन में एकीकरण का उद्देश्य गुणात्मक प्रभाव प्राप्त करना है क्योंकि यह युद्ध लड़ने की क्षमता को बढ़ाने के लिए एकीकृत प्रक्रियाओं और संरचनाओं के माध्यम से सेवाओं की विशिष्ट क्षमताओं को संयोजित करता है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने अपने उद्घाटन भाषण में युद्ध की प्रकृति में होने वाले बदलावों और उनमें शामिल गंभीरता पर प्रकाश डाला. उन्होंने आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया के लक्ष्य के अनुरूप सुधार और बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया.
जनरल चौहान ने डीआरडीओ (DRDO) की प्रणालियों और उप-प्रणालियों की दूसरी सूची जारी की ताकि आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप उद्योग जगत इनका डिजाइन, विकास और निर्माण कर सकें. डीआरडीओ की यह दूसरी सूची, पहले जारी की गई 108 वस्तुओं की सूची का अगला क्रम है. उन्होंने “उत्पादन समन्वय के लिए डीआरडीओ दिशा-निर्देश” भी जारी किए, जो डीआरडीओ द्वारा विकसित सैन्य उपकरणों/प्लेटफार्मों/प्रणालियों
दिशा-निर्देश डिजाइनरों, उपयोगकर्ताओं, उत्पादन एजेंसियों, गुणवत्ता एजेंसियों और अन्य हितधारकों को शामिल करके इन प्रणालियों के उत्पादन से जुड़े मसलों को हल करने के लिए दो स्तरीय व्यवस्था प्रस्तुत करते हैं.माना जा रहा है कि यह पहल भारतीय रक्षा उद्योग के लिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में रक्षा प्रौद्योगिकियों/प्रणालियों को विकसित करने का रास्ता दिखाएगी .
विभिन्न चिंतन शिविर बैठकों और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के तरफ से इनके परिणामों की समीक्षा के बाद इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है. इसमें डीआरडीओ के शीर्ष अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं. विभिन्न प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कॉर्पोरेट कंपनियों के निदेशक, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के निदेशक, डीआरडीओ मुख्यालयों के निदेशक और एकीकृत वित्तीय सलाहकार (आईएफए) इनमें शामिल हैं.