कोरोना ने छीन लिया वीर चक्र से सम्मानित योद्धा कर्नल पंजाब सिंह

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कर्नल पंजाब सिंह
कर्नल पंजाब सिंह को शौर्य चक्र प्रदान करते तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि (फाइल फोटो)

वैश्विक महामारी बने कोरोना वायरस ने भारतीय सेना के हीरो रहे कर्नल पंजाब सिंह को भी छीन लिया. भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई में अपने साहस और शूरवीरता के लिए वीर चक्र से सम्मानित योद्धा सेवानिवृत्त कर्नल पंजाब सिंह ने अपने बेटे अनिल सिंह के निधन के 4 दिन बाद खुद भी अंतिम सांस ली. सक्रिय सैनिक जीवन छोड़ने के बाद कर्नल पंजाब सिंह सैनिक कल्याण के निदेशक भी रहे थे.

79 वर्षीय रिटायर्ड कर्नल पंजाब सिंह को इलाज के लिये चंडीगढ़ स्थित चंडी मंदिर कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 1971 के युद्ध के दौरान ऑपरेशन कैकटस लिली (Operation Cactus Lilly) में जम्मू कश्मीर के पुंछ में 13 किलोमीटर की पहाड़ों की श्रृंखला वाली सीमा पर मेजर पंजाब सिंह तीन दिन तक मुट्ठी भर सैनिकों के साथ दुश्मन सेना की पूरी एक बटालियन से मुकाबला करते रहे. अगर भारत उस पहाड़ी सीमाई टुकड़े को गँवा देता तो भारी क्षति का सामना करना पड़ जाता.

पंजाब सिंह उस समय तुंड में तैनात थे. 3 दिसम्बर 1971 को उनकी कम्पनी ने दुश्मन के आर्टिलरी और मोर्टार के फायर का मुकाबला किया था. उन 72 घंटों के दौरान दुश्मन सैनिकों ने 2 रातों में 9 हमले किये लेकिन जवाबी कार्रवाई के कारण आगे न बढ़ सके. खुद एक बंकर से दूसरे बंकर जाकर वहां पोजीशन की गई बन्दूकों को उन्होंने सक्रिय रख कर दुश्मन के हमले को नाकाम किया था. ये भी तब जबकि दुश्मन से उनका फासला महज़ चंद मीटर का था. 24 दिसम्बर 1971 को उन्हें वीर चक्र देने का ऐलान किया गया.