कैप्टन अंशुमन सिंह के माता पिता ने सेना के NoK नियम बदलने की मांग की

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अलंकरण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ दिवंगत कैप्टन अंशुमन सिंह की पत्नी स्मृति सिंह और मां

सियाचिन में अपन  फर्ज़ निभाते हुए  वीरगति को प्राप्त  हुए भारतीय सेना के कैप्टन अंशुमन सिंह को कीर्ति चक्र से सम्मानित ( मरणोपरांत ) किये जाने के तुरंत बाद से सेना के ‘ निकतम परिजन नियम ‘ ( next of kin rules)को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इसकी शुरुआत तब हुई जब  कैप्टन अंशुमन सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह और मां मंजू देवी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने  ‘ निकटम परिजन ‘ की परिभाषा बदलने की मांग रखी. वहीं  इस बारे में , लोक सभा में विपक्ष के नेता सांसद राहुल गांधी ने भी उनको आश्वस्त किया है कि वह इस मामले पर रक्षा मंत्री से बात करेंगे.

कैप्टन अंशुमन सिंह सेना में डॉक्टर थे और सियाचिन में बतौर चिकित्सा अधिकारी तैनात थे.  जुलाई 2023 को सियाचिन में आग लगने की भीषण दुर्घटना में अपनी जान पर खेलकर भी उन्होंने अपने साथियों , जीवन रक्षक दवाओं और चिकित्सा सामान को बचाने का साहस दिखाया था. सरकार ने देशभक्ति और कर्तव्य के प्रति समर्पण की भावना के साथ किये गए इस वीरता पूर्ण कार्य को देखते हुए कैप्टन अंशुमन सिंह को कीर्ति चक्र ( kirti chakra ) से सम्मानित किया था. राष्ट्रपति भवन में हुए अलंकरण समारोह में यह सम्मान लेने के लिए कैप्टन अंशुमन सिंह की पत्नी स्मृति सिंह और परिवार के अन्य लोग भी आए थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों से स्मृति सिंह और कैप्टन अंशुमन सिंह की मां मंजू देवी ने ‘ कीर्ति चक्र ‘ स्वीकार किया था.  भावुक कर देने वाले इन पलों के वीडियो और तस्वीरें काफी प्रसारित हुई और सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई.

अब कैप्टन अंशुमन सिंह के अभिभावकों का कहना है कि उनकी बहू  स्मृति सिंह  उनके साथ नहीं रहतीं. स्मृति कीर्ति चक्र अपने साथ ले गई हैं और वीरगति को प्राप्त हुए सैनिक के आश्रितों ( निकट परिजन ) को मिलने वाले आर्थिक व अन्य लाभ भी स्मृति को मिल रहे हैं . स्मृति और कैप्टन अंशुमन सिंह की कोई सन्तान भी नहीं है . उनकी शादी फरवरी 2023 में हुई थी लेकिन पांच महीने बाद ही सियाचिन की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो गई.

उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले रवि प्रताप सिंह सिंह और मंजू देवी का कहना है कि कैप्टन अंशुमन सिंह उनके इकलौते पुत्र थे. वही उनके भविष्य का सहारा थे. बहु ने उनसे किनारा कर लिया है. कैप्टन अंशुमन सिंह के अभिभावकों के कई सवाल हैं. उनका कहना है कि स्मृति सिंह वह युवा हैं और उनके पास अपना जीवन अलग जीने के भरपूर अवसर हैं. वह चाहें तो फिर से विवाह कर सकती हैं. उनको पति मिल सकता है लेकिन क्या हमको और संतान मिल सकती है ? यही नहीं उन्होंने बेटे को जन्म दिया , पाला  पोसा और बड़ा किया लेकिन स्मृति का अंशुमन सिंह से  महीने का वैवाहिक नाता था. लेकिन वीरगति को प्राप्त होने वाले सैनिक के ‘ निकटतम परिजन ‘ को मिलने वाली अनुग्रह राशि समेत सभी लाभ स्मृति सिंह को मिल  रहे हैं .

यूं देखा जाए तो अंशुमन सिंह और स्मृति सिंह का नाता बहुत पुराना है. वह शादी से बहुत पहले एक दूसरे से मिले थे. स्मृति सिंह इंजीनियर हैं और नौकरी करती थीं. अंशुमन सिंह की पोस्टिंग दूर दराज़ रहती थी. वह एक दूसरे से  प्रेम करते थे. भले ही मुलाकात कभी कभार होती हों लेकिन उनका नाता गहरा था जो अंशुमन सिंह की जान जाने से मात्र पांच महीने पहले ही वैवाहिक संबंध में तब्दील हुआ. हादसे से एक दिन पहले तक उनके बीच अपने आने वाले सुनहरे भविष्य को लेकर लम्बी बातचीत हुई थी.

अब सेना के ‘ निकटम परिजन नियम ‘ के मुताबिक़ अगर  अविवाहित सैनिक की जान जाती है तो उस मामले में मिलने वाली अनुग्रह राशि व अन्य लाभ उसके माता पिता या अभिभावकों को मिलेंगे. विवाहित होने पर यह लाभ उसकी  पत्नी  को मिलेंगे. सैनिक यदि विवाहित महिला है तो यह लाभ उसके पति को मिलेंगे. या इस तरह के लाभ पर आश्रित बच्चों का हक़ होगा. यह  नियम अंशुमन सिंह के माता पिता को ऐसा कोई लाभ देने के पक्ष में नहीं है लेकिन परिस्थितियों का तकाज़ा है कि अपना सब कुछ खो देने वाले इस दम्पति को भी ऐसा लाभ मिलना चाहिए.

लिहाज़ा भारतीय सेना का नेक्स्ट ऑफ़ किन ( next of kin ) नियम विवादों और चर्चा में है . भारत के मुख्य  मीडिया और सोशल मीडिया पर इसे लेकर बातचीत हो रही है. एन ओ के ( nok ) नियम की समीक्षा करने की ज़रुरत महसूस की जा रही है .