भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (border road organisation-) की 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं आज देश को समर्पित कीं . 2,900 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत की यह परियोजनाएं 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू में एक कार्यक्रम में परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इनमें अरुणाचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग, पश्चिम बंगाल में दो हवाई अड्डे; दो हेलीपैड; 22 सड़कें और 63 पुल शामिल हैं. इन 90 परियोजनाओं में से 36 अरुणाचल प्रदेश में हैं जबकि 26 लदाख में , 11 जम्मू-कश्मीर में और 5 मिजोरम में हैं . हिमाचल प्रदेश में 3 , सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में दो-दो और नागालैंड, राजस्थान और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक-एक योजना इसमें शामिल है .
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ बीआरओ ने ज़्यादातर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी इस्तेमाल करते हुए एक ही कार्य सत्र में , रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण , इन परियोजनाओं का निर्माण रिकॉर्ड समय में पूरा किया है.
अपने संबोधन में, रक्षा मंत्री ने बीआरओ (BRO ) को सशस्त्र बलों का ‘ब्रो (भाई)’ कहा, उन्होंने कहा कि, अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से, बीआरओ न सिर्फ भारत की सीमाओं को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि दूर-दराज के इलाकों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
श्री सिंह ने इन परियोजनाओं के समय पर पूरा होने का श्रेय अपने कर्मियों की कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ-साथ सरकार की प्रतिबद्धता को दिया. उन्होंने कहा, “बीआरओ के साथ मिलकर, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश सुरक्षित रहे और सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास हो. दूर-दराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समय पर पूरा करना अब नए भारत के लिए सामान्य बात हो गई है ”.
देवक पुल
यह कार्यक्रम बिश्नाह-कौलपुर-फूलपुर रोड पर देवक पुल पर आयोजित किया गया, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री ने किया. अत्याधुनिक 422.9 मीटर लंबा क्लास 70 आरसीसी देवक पुल सामरिक महत्व का है क्योंकि यह सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों को बढ़ाएगा और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा.
नेचिफू सुरंग
उद्घाटन की गई एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारदुआर-तवांग रोड पर 500 मीटर लंबी नेचिफू सुरंग है . यह सुरंग, निर्माणाधीन सेला सुरंग के साथ, रणनीतिक तवांग क्षेत्र को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. यह क्षेत्र में तैनात सशस्त्र बलों और तवांग आने वाले पर्यटकों के लिए फायदेमंद होगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ही अक्टूबर 2020 में सुरंग की आधारशिला रखी थी.
बागडोगरा और बैरकपुर हवाई अड्डे
विज्ञप्ति में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में पुनर्निर्मित बागडोगरा और बैरकपुर हवाई अड्डे भी राष्ट्र को समर्पित किए गए. 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से पुनर्निर्मित ये हवाई अड्डे न केवल भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की तैयारियों को बढ़ाएंगे, बल्कि क्षेत्र में वाणिज्यिक उड़ान संचालन की सुविधा भी प्रदान करेंगे.
न्योमा हवाई क्षेत्र
राजनाथ सिंह ने , वर्चुअल तरीके से , पूर्वी लद्दाख में न्योमा हवाई अड्डे की आधारशिला रखी.तकरीबन 200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाला यह हवाई अड्डा लदाख में हवाई बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देगा और उत्तरी सीमा पर भारतीय वायुसेना की क्षमता में वृद्धि करेगा. यह हवाई अड्डा दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्रों में से एक होगा जो सशस्त्र बलों के लिए अत्यधिक उपयोगी साबित होगा .
रक्षा मंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि बीआरओ जल्द ही 15,855 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग शिनकु ला सुरंग के निर्माण के साथ एक और अनूठा रिकॉर्ड स्थापित करेगा. यह सुरंग हिमाचल में लाहौल-स्पीति को लद्दाख में जास्कर घाटी से जोड़ेगी और हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी.
रक्षामंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रभावी है, बल्कि पड़ोसी देश के साथ कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा देता है जो भारत के साथ सहयोग की भावना के साथ कार्य करता है. बीआरओ ने म्यांमार और भूटान जैसे कई देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निर्माण किया है और इसने उनके साथ शांति और सहयोग को मजबूत करने में मदद की है.
असैन्य-सैन्य संगम: समय की मांग
रक्षा मंत्री ने बीआरओ की कार्यशैली और परियोजनाओं को असैन्य-सैन्य संगम का एक शानदार उदाहरण बताया। “असैन्य-सैन्य संगम समय की मांग है, क्योंकि देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी न केवल सैनिकों की है, बल्कि नागरिकों की भी है.
रक्षा मंत्री नाथ सिंह ने बीआरओ से स्थानीय निकायों और लोगों की जरूरतों को समझकर और सीमावर्ती क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए जानकारी लेने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा, “आपका काम केवल एक स्थान को दूसरे स्थान से जोड़ना नहीं है बल्कि अपने कार्यों से लोगों के दिलों को जोड़ना भी है. निर्माणों को ‘जनता का, जनता के लिए और लोगों के द्वारा’ की भावना का प्रतिनिधित्व करना चाहिए ”।
न्यूनतम पर्यावरण क्षरण, अधिकतम राष्ट्रीय सुरक्षा, अधिकतम कल्याण
रक्षा मंत्री ने पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सचेत रहने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आधुनिक तकनीकों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए बीआरओ की सराहना की. उन्होंने उनसे पर्यावरण संरक्षण पर समान जोर देते हुए विकास संबंधी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, “अब तक, हमने ‘न्यूनतम निवेश, अधिकतम मूल्य’ के मंत्र के साथ काम किया है। अब हमें ‘न्यूनतम पर्यावरण क्षरण’ ‘अधिकतम राष्ट्रीय सुरक्षा, अधिकतम कल्याण के मंत्र के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।
इस अवसर पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह, जम्मू के सांसद जुगल किशोर शर्मा, सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी और पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल पंकज मोहन सिन्हा भी उपस्थित थे. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए.