आज से ठीक 18 साल पहले विदेशी धरती पर भारतीय सेना एक ऐसा युद्ध जीतकर लौटी थी जो बिना किसी शहादत के जीता गया. हज़ारों मील दूर पश्चिम अफ्रीका में की गई इस कार्रवाई को नाम दिया गया था ‘आपरेशन खुकरी’ और इसे कामयाबी से पूरा करने में भारतीय वायुसेना के साथ भारतीय सेना की जिस इकाई ने सबसे अहम भूमिका निभाई वो थी पैदल सेना की 18 ग्रेनेडियर्स. जी हाँ वही 18 ग्रेनेडियर्स जिसने आपरेशन खुकरी से ठीक साल भर पहले करगिल में पाकिस्तान को परास्त कर तोलोलिंग और टाइगर हिल को फिर से अपने कब्ज़े में लिया था.
आपरेशन खुकरी के दौरान 18 ग्रेनेडियर्स की कमान सँभालने वाले हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िला निवासी ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह ठाकुर उस युद्ध की कहानी बताते बताते अचानक दिलचस्प वाक्य का ज़िक्र छेड़ देते हैं. कहते हैं,’ वो तारीख 15 जुलाई थी और आपरेशन खुकरी की सफलता के बाद रक्षा मंत्री (तब के) जार्ज फर्नांडीज़ बधाई देने और वीर सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए खुद सियरा लोन गए थे. वह अपने साथ सैनिकों को देने के लिए दसहरी आम की पेटियां भी लेकर गये’.
आपरेशन खुकरी के दौरान उन 234 शान्ति सैनिकों को रिवोल्युशनरी यूनाइटेड फ्रंट (अफ़्रीकी विद्रोहियों का संगठन) से मुक्त कराया गया था जो विद्रोहियों की निशस्त्रीकरण प्रक्रिया पूरा करने के तहत विभिन्न देशों की संयुक्त सेना के हिस्से के तौर पर वहां भेजे गये थे. उन्हें ऐसी जगह बंधक बनाकर रखा गया था जहां पहुंचना ही बेहद मुश्किल था. वो घने जंगल में 80 किलोमीटर दूर एक इमारत थी जिसे 75 दिनों से ज्यादा घेराबंदी करके रखा गया था. विद्रोहियों ने खाने का सामान, दवाइयां व ज़रूरी दूसरा सामान अंदर जाने से रोक दिया था. वो बीमार सैनिकों को भी बाहर नहीं आने दे रहे थे. धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई. स्थानीय व राजनयिक स्तर पर भी कोई हल नहीं निकल पा रहा था.
यूँ तो ये एक बहुराष्ट्रीय अभियान था लेकिन बंधक बनाये गये 234 में से दो सौ से ज्यादा भारतीय ही थे, लिहाज़ा कार्रवाई की कमान भारतीय सेना को सौंपी गई थी. उस वक्त 18 ग्रेनेडियर्स के कर्नल खुशहाल ठाकुर बताते हैं कि 20 मई को, सिर्फ 10 की तैयारी के साथ, हम लोग वहां पहुंचे. हमें वायुसेना ने वहां पहुँचाया. बख्तरबंद गाडियों व पैदल सेना द्वारा विद्रोहियों को टारगेट किया और जगह-जगह रोड ब्लाक लगाए गए. इसके अलावा 5/8 गोरखा राइफल, पैरा कमांडो व बाकी दस्तों ने इमारत की घेराबंदी को तोडा और हेलिकाप्टर व सड़क के रास्ते बंधक सैनिकों को निकाला’.
ब्रिगेडियर ठाकुर बताते हैं कि बंधकों को छुड़वाकर जब 18 ग्रेनेडियर लौट रहे थे तो विद्रोहियों ने घात लगाकर सैनिकों पर हमला भी किया. इस हमले की चपेट में सेना का एक वाहन आ गया. इस हमले में हिमाचल के हवलदार किशन कुमार शहीद हो गए और हिमाचल के ही सूबेदार लीला राम गंभीर रूप से घायल हो गए.
आम लोगों को भले ही इस आपरेशन खुकरी के बारे में फिलहाल कम पता है लेकिन जल्द ही इसके तमाम किरदारों और पूरे घटनाक्रम से लोग रूबरू हो सकेंगे. दरअसल, बालीवुड के सुपरस्टार किंग खान शाहरूख “आपरेशन खुकरी” पर एक फिल्म बना रहे हैं. इसकी स्क्रिप्ट जाने माने लेखक गिरीश कोहली के पास है. वह स्क्रिप्ट लिखने के सिलसिले में कई बार ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर से मुलाकात करके आपरेशन खुकरी के बारे में जानकारी ले चुके हैं.
इस आपरेशन से भारतीय सेना को खूब ख्याति हासिल हुयी थी. सिएरा लियोन की सरकार व संयुक्त राष्ट्र संघ के सेक्रेटेरी जनरल कोफी अन्नान ने भी सराहना की व बधाई दी.
भारतीय सेना के लिए हमेशा से अहम रही ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट का बेहद गौरवशाली इतिहास हैं. इसकी बटालियन को कमांड करने वाले अधिकारी इसे अनूठी शान समझते हैं. सबसे ज्यादा परमवीर चक्र हासिल करने वाली इस रेजिमेंट के सूरमाओं में सबसे पहला नाम आता है कम्पनी क्वाटर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद का (4 ग्रेनेडियर्स) जिन्होंने 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी टैंकों के छक्के छुड़ा दिए थे. इसके बाद मेजर होशियार सिंह (3 ग्रेनेडियर्स) जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तानियों को मज़ा चखाया और 1999 में करगिल के हीरो कर्नल योगेन्द्र सिंह यादव. वह तब 18 ग्रेनेडियर्स में लेफ्टिनेंट थे.
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