जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से लदाख की राजधानी लेह के बीच 434 किलोमीटर का, बर्फ के कारण बंद रास्ता, इस साल सिर्फ 73 दिन के रेकॉर्ड समय में खोल दिया गया है. आमतौर पर इस काम को करने में 150 से 180 दिन लगते हैं. सीमा सड़क संगठन (border road organisation) के बीकन (beacon) परियोजना के तहत होने वाले इस काम के पीछे जहां सेना के अधिकारियों और इंजीनियरों की मेहनत है वहीं खराब से खराब मौसम में और वो भी दुरूह इलाके में सक्रिय रहने वाले मेहनतकश मजदूरों का जज़्बा भी है. वैसे पहले के मुकाबले इस बार इस इलाके में बर्फबारी में कुछ कमी भी देखी गई थी.
इस साल 5 जनवरी को श्रीनगर – लेह राष्ट्रीय राजमार्ग (srinagar – leh highway) अच्छी खासी बर्फ़बारी के कारण बंद कर दिया गया था. लेकिन मौसम लगातार खराब होने के बावजूद इस मार्ग पर बर्फ हटाने का काम रफ्तार से जारी रखा जिसका नतीजा है कि शनिवार को ये हाईवे यातायात के लिए खुल गया. इस बार जहां ज़ोजिला पास पर तकरीबन 8 से 10 फुट बर्फ पड़ीं वहीं सोनमर्ग – बालटाल रोड पर ये 4 से 6 फुट तक जमी हुई थी.
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इस रास्ते को खोलने के लिए सबसे ज्यादा मेहनत और जोखिम सोनमर्ग से ज़ोजिला पास ज़ीरो पॉइंट तक के 30 किलोमीटर वाले हिस्से को खोलने में है. रास्ता खराब होने के साथ साथ यहां हड्डियां तक गला देने वाली ठण्ड पड़ती है, सर्द हवाएं चलती हैं और बर्फीले तूफ़ानों की आमद रहती है. इस रास्ते को जहां प्रोजेक्ट बीकन के तहत साफ़ किया जाता है वहीं करगिल की दिशा की तरफ से इस मार्ग को खोलने की ज़िम्मेदारी बीआरओ (bro) के विजयक (vijayak) प्रोजेक्ट की होती है.
श्रीनगर – लेह राजमार्ग दोनों शहरों को जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता तो है ही, सीमान्त क्षेत्र में होने के कारण इसका सामरिक महत्व भी बहुत है. इस रास्ते का बंद रहना सेना से लेकर आम लोगों तक पहुँचने वाले खाने पीने की रसद से लेकर अन्य ज़रूरी सामान की दिक्कत पैदा करता है. इस बार जल्द रास्ता खुलने से ताज़ा फल सब्जियां तो जल्द मिलेंगी ही, पर्यटन के नजरिए से भी लाभ होगा. भारत में मई – जून के बाद सैलानियों के लिए इस इलाके का आकर्षण बढ़ जाता है. हो सकता है इस साल जल्दी रास्ता खुलने से यहां टूरिस्ट सीज़न जल्दी शुरू हो जाए.